श्री रमेश शर्मा

futuredताजा खबरेंविविध

आतंकी घटनाओं पर विवादित पुस्तकें और बयान: पाकिस्तान को बचाने का अभियान

पुलिस अगले दिन फिर मदरसा पहुँची। इस बार आपत्तिजनक सामग्री मिली। यह सामग्री भारत में कट्टरपंथ फैलाने वाली थीं। इनमें एक पुस्तक ऐसी भी मिली जिसमें भारत में घटी कुछ बड़ी आतंकी घटनाओं के लिये पाकिस्तान को क्लीनचिट दी गई और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आतंकवादी संगठन बताकर इनका जिम्मेदार बताया गया।

Read More
futuredताजा खबरें

प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों का कश्मीर चुनाव मैदान में उतरने का अर्थ?

जम्मू कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनावों से एक चौंकाने वाली खबर आई है। प्रतिबंधित जमायते इस्लामी के पाँच पूर्व पदाधिकारियों ने निर्दलीय रूप से अपनी उम्मीदवारी घोषित कर दी है। इस संगठन ने 1987 के बाद से किसी चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था और 1993 से 2003 के बीच हुये हर चुनाव को “हराम” बताकर बहिष्कार की अपील की थी। लेकिन जमात ने इस बार अपनी रणनीति में बदलाव किया है।

Read More
futuredहमारे नायक

एक विस्मृत क्रांतिकारी की कहानी

जीवन यापन के लिये भिक्षावृत्ति तक करनी पड़ी। स्वतंत्रता के बाद किसी ने उनकी खबर नहीं ली। उन्होंने अपना पूरा जीवन स्वाधीनता संघर्ष को अर्पण कर दिया था। उन्होंने सशस्त्र संघर्ष में भी भाग लिया और अहिंसक आंदोलन में भी। किन्तु स्वतंत्रता के बाद उनके सामने अपने जीवन  जीने के लिये ही नहीं रोटी तक का संकट आ गया था। पेट भरने के लिये भिक्षावृत्ति भी की और अंत में  सड़क के किनारे लावारिश अवस्था में अपने प्राण त्यागे।

Read More
futuredहमारे नायक

धर्मांतरण विरोधी आंदोलन के नायक स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की कहानी

स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती ने वनवासी क्षेत्रों में सक्रिय ईसाई मिशनरियों और माओवादी तत्वों के खिलाफ कार्य किया, जिससे उनके ऊपर कई बार हमले हुए। 23 अगस्त 2008 को, स्वामी जी और उनके चार शिष्यों की निर्मम हत्या कर दी गई, जिसे ईसाई मिशनरियों और माओवादियों का षड्यंत्र माना गया। स्वामी जी ने लगभग चालीस वर्षों तक वनवासियों के मतान्तरण और माओवादी गतिविधियों के विरुद्ध संघर्ष किया, जिसके कारण उन्हें कई बार धमकियों और हमलों का सामना करना पड़ा।

Read More
futuredहमारे नायक

स्वाधीनता संग्राम से सामाजिक जागरण तक का सफर

काका कालेलकर राष्ट्रीय मराठी डेली के संपादकीय विभाग से जुड़े और यहाँ से उनका पत्रकारीय जीवन आरंभ हुआ । इसके बाद 1910 में वे गंगानाथ विद्यालय में शिक्षक बने । लेकिन 1912 में अंग्रेज सरकार ने स्कूल को बंद करवा दिया । गुजरात से महाराष्ट्र तक की अपनी जीवन यात्रा में उन्होंने भारतीय जनों की दुर्दशा देखी । उन्हें अंग्रेजों पर गुस्सा बहुत आता था ।

Read More
futuredविश्व वार्ता

बंगलादेश में सत्ता परिवर्तन और हिन्दुओं पर हमलों का नया दौर

बंगलादेश के 29 जिलों में हिन्दुओं को चुन चुनकर मारा गया। उनके घरों को लूटा गया, आग लगाई गई, मंदिरों पर हमले हुये और मूर्तियाँ तोड़ीं गईं। हिन्दुओं पर ये हमले सत्ता परिवर्तन के बाद भी नहीं रुके। अंतरिम सरकार के उभर आने के बाद भी बंगलादेश के गाँवों में हिन्दुओं पर हमले नहीं रुके।

Read More