श्री रमेश शर्मा

futuredसमाज

बदलते समाज में वृद्धजनों की चुनौतियाँ और समाधान : विश्व वृद्धजन दिवस विशेष आलेख

समय की तेज रफ्तार से आगे बढ़ता समाज अपने ही बुजुर्गों से कन्नी काटने लगा है। यह समस्या किसी एक देश की नहीं पूरे विश्व की है। इससे वह भारत भी अछूता नहीं रहा जहाँ कुटुम्ब परंपरा रही है। ऋग्वेद से लेकर सभी ग्रंथों में पितरों केलिये प्रार्थना है।

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रानी हंसादेवी सहित नौ सौ क्षत्राणियों का अग्नि प्रवेश

सिवाणा का किला वीरता और बलिदान की अनेक गाथाओं का साक्षी है। 1308 में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय सातलदेव सोनगरा और रानी हंसादेवे ने वीरता और स्वाभिमान की रक्षा हेतु जौहर और साका किया। लगभग दो वर्षों तक दुश्मन का सामना करने के बाद, सिवाणा की 900 महिलाओं ने जौहर किया और हजार सैनिकों ने अंतिम युद्ध लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की।

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सेल्यूलर जेल में महावीर सिंह का अमर बलिदान और 1933 की भूख हड़ताल

मानसिक दृढ़ संकल्प की कि पुलिस की हजार प्रताड़नाओं के बाद भले प्राण चले जायें पर संकल्प टस से मस न हो। ऐसे ही संकल्पवान क्राँतिकारी थे महावीर सिंह राठौर। जिनसे क्राँतिकारियों का विवरण पूछने के लिये प्रताड़ित किया गया और तब उन्होंने क्राँतिकारियों को प्रताड़ित किये जाने के विरुद्ध अनशन किया फिर भी प्रताड़ना बंद न हुई

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लाहौर षडयंत्र और बलवंत सिंह का अमर बलिदान

जालंधर और उसके आसपास आर्यसमाज भी अपने प्रवचनों से स्वत्व एवं सांस्कृतिक भाव जगा रही थी। ऐसे वातावरण में बलवंत सिंह का बचपन बीता था। इसलिए अंग्रेज द्वारा भारतीयों का दमन करने में सहभागी होना उन्हें स्वीकार नहीं था। उनके एक भाई रंगा सिंह क्राँतिकारी गतिविधियों से जुड़ गये थे। अब यह भाई की प्रेरणा हो उनकी या उनकी अपनी अंतरात्मा की आवाज।

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futuredसाहित्य

आत्मगौरव और भाषा की श्रेष्ठता का उत्सव : हिंदी दिवस

भारत के अधिकांश भागों में हिंदी ही प्रचलित थी, इसलिए इसे राजभाषा बनाने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय के महत्व को उजागर करने और हिंदी को हर क्षेत्र में जन-जन तक पहुंचाने के लिए 1953 से पूरे देश में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने की आधिकारिक घोषणा की गई।

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