श्री रमेश शर्मा

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अकबर के दरबार में धोखे फ़रेब का खेल : बैरम खान की हत्या

सल्तनतकाल और अंग्रेजी काल का इतिहास धोखे और फरेब से भरा है। दिखावटी दोस्ती और मीठी बातों में फँसाकर ही खून की होली खेलने के असंख्य घटनाएँ घटीं हैं। इसी शैली में मुगल सेनापति बैरम खान की हत्या की गई। हत्या के बाद बैरम खान पत्नि सलीमा सुल्तान बादशाह अकबर के हरम में पहुँचा दिया गया।

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futuredधर्म-अध्यात्मलोक-संस्कृति

सामाजिक समरसता और भारतीय सांस्कृतिक एकता का महोत्सव महाकुंभ

भारत के इतिहास में जहाँ तक दृष्टि जाती है कुंभ के आयोजन का संदर्भ मिलता है। मौर्यकाल में भी और शुंग काल में भी। गुप्तकाल में तो कुंभ का बहुत विस्तार से वर्णन मिलता है। गुप्तकाल के इस विवरण में ग्रहों की स्थिति के अनुसार कुंभ के आयोजन का उल्लेख है।

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futuredइतिहास

भारतीय संविधान: लोकतंत्र का आधार और विशेषताएँ

26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के साथ गणतंत्र दिवस उत्सव मनाने की परंपरा भी आरंभ हुई। 26 जनवरी 1950 को पहले गणतंत्र दिवस पर भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण किया था। ध्वजारोहण के साथ राष्ट्रगान “जन गण मन…” का गायन हुआ और डा राजेन्द्र प्रसाद जी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुये भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं अन्य वीर सपूतों का स्मरण किया।

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futuredइतिहास

स्वाभिमान और स्वाधीनता की मिसाल महाराणा प्रताप

राणा जी अकबर से पराजित होते या अभाव होता तो यह विकास और समृद्धि प्रयास संभव ही नहीं थे। अंततः 19 जनवरी 1597 में स्वाभिमान के साथ उन्होंने देह त्यागी। कोटिशः नमन् परम् वीर यौद्धा राणा प्रताप जी को।

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futuredपॉजिटिव स्टोरी

लूट, विध्वंस और पुनर्निर्माण का संघर्षमय इतिहास : सोमनाथ मंदिर

सोमनाथ मंदिर में लूट और विध्वंस की यह घटना 8 जनवरी 1026 की है। उस दिन लुटेरे मेहमूद गजनवी और उसकी फौज ने केवल संपत्ति लूटकर सोमनाथ मंदिर का विध्वंस नहीं किया था बल्कि वहां उपस्थित एक भी व्यक्ति को जीवित नहीं छोड़ा था। वह या तो उन्हें मार गया था या उन्हें बंदी बनाकर अपने साथ ले गया था। यही हाल स्त्रियों का किया था।

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futuredहमारे नायक

बाजीराव पेशवा के सामने 70 हजार मुगल सैनिकों का समर्पण

मुगल सेना लगभग सत्तर हजार सैनिकों की एक संयुक्त सेना थी जिसमें मुगल, निजाम, अवध और भोपाल रियासतों के सैनिक थे। सबका समर्पण हुआ। मराठा सेना ने मुगल सेना की तोपें और कुछ हथियार जब्त किये तथा युद्ध व्यय के रूप में पचास लाख रुपया भी वसूल किया।

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