आजादी के बाद भोपाल भी था कश्मीर बनने की राह पर : भोपाल विलय दिवस
संघर्ष, बलिदान और आँदोलन के एक लंबे सिलसिले के बाद 1 जून 1949 भोपाल रियासत भारतीय गणतंत्र का अंग बनी।
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Read more31 मई 1725 देवी अहिल्याबाई का जन्म दिवस : स्वत्व और स्वाभिमान के लिये समर्पित जीवन संसार में कुछ ऐसी
Read moreयदि तेल निकालने की मात्रा कम हो तो पिटाई होती थी। भोजन नहीं दिया जाता था। उसी जेल में उनके भाई भी थे पर दोनों भाई एक दूसरे से मिलना तो दूर देख भी नहीं सकते थे। पूरी जेल में सावरकर जी एकमात्र ऐसे कैदी थे, जिनके गले में अंग्रेजों ने एक पट्टी लटका रखी थी। इस पर “D” लिखा था । “D” अर्थात डेंजरस। यातनाएँ देने का यह चक्र चला लगभग ग्यारह वर्ष चला।
Read more27 मई 1919 : सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी रामरक्खा का बलिदान सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी रामरख्खा ऐसे बलिदानी थे जिन्होंने पहले अंग्रेजों से भारत
Read moreव्यक्ति, समाज, राष्ट्र निर्माण और साँस्कृतिक मूल्यों के लिये समर्पित संवाद कला संवाद सूत्र पत्रकारिता में हों अथवा समाज के
Read moreजब क्राँतिकारियों के शस्त्र गरजने लगे तो अहिसंक आँदोलन कारियों ने थोड़ी दूरी बनाई। तभी अंग्रेजों ने 1905 में बंगाल विभाजन का निर्णय लिया। तब दोनों धाराएँ समीप आईं। इसके अग्रणी नेताओं में विपिन चंद्र पाल हैं।
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