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ग्यारह वर्षों की दृढ़ नेतृत्व यात्रा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत का नवोत्थान

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने बहुआयामी विकास की नई उड़ान भरी है। उनकी नीतियों और निर्णयों से आत्मनिर्भर भारत निर्माण को नई गति मिली है।

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भोपाल का स्वाधीनता संघर्ष भारत की आजादी के बाद भी जारी रहा

भोपाल का स्वाधीनता संघर्ष न केवल नबाबी शासन के खिलाफ एक लंबी लड़ाई थी, बल्कि यह भारतीय गणतंत्र के निर्माण में एक महत्वपूर्ण अध्याय भी है। यह संघर्ष सशस्त्र विद्रोह से लेकर अहिंसक जन आन्दोलनों तक, बलिदानों और दृढ़ संकल्प की कहानी है।

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धर्म की दीपिका अहिल्या माई : काव्य रचना

माता अहिल्याबाई होलकर के जीवन और कार्यों पर आधारित एक भावात्मक काव्यात्मक कविता जो नारी शक्ति, धर्मपालन, सेवा और राष्ट्रनिर्माण की भावना से ओतप्रोत है ।

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सांस्कृतिक पुनर्जागरण की अग्रदूत: पुण्यश्लोका अहिल्याबाई

पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई ऐसी ही विलक्षण विभूति थीं, जो पूरे भारत राष्ट्र, समाज और संस्कृति के लिये समर्पित रहीं। वे एक छोटे से राज्य इंदौर की शासक थीं, पर उनके हृदय में पूरा भारत राष्ट्र समाया हुआ था।

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भगतसिंह के प्रेरणास्रोत और गदर क्रांति के अग्रदूत

उन्हीं दिनों प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हो गया। तब करतार सिंह भारत आ गये। जनवरी 1914 में समाचार पत्र ‘गदर’ का गुरुमुखी संस्करण आरंभ हुआ। लाला हरदयाल जी इसके संपादक और करतार सिंह उपसंपादक बने।

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क्राँतिकारी महावीर सिंह राठौड़ का बलिदान

स्वाधीनता संग्राम में यदि अहिसंक आँदोलन ने पूरे देश में एक जाग्रति का वातावरण बनाया था तो क्राँतिकारी आँदोलन ने अंग्रेजों को सर्वाधिक विचलित किया था। भारत का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ से कोई न कोई नौजवान क्राँतिकारी आँदोलन से न जुड़ा हो। कासगंज के क्राँतिकारी महावीर सिंह राठौर ऐसे क्राँतिकारी थे जिन्होंने सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी भगतसिंह और दुर्गाभाभी को सुरक्षित लाहौर से निकाला था।

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