\

भाजपा को सत्ता दूर करने के लिये उलेमा बोर्ड, 180 एनजीओ और छद्म सेकुलरी मैदान में

भारत के विभाजन, लाखों लोगों के बलिदान और करोड़ों लोगों के बेघर होने के बाद भी नहीं रुका। इसमें तीन प्रकार की शक्तियाँ काम कर रहीं हैं। एक वे मुस्लिम कट्टरपंथी जो मुस्लिम समाज को राष्ट्र की मूल धारा से अलग और आक्रामक बनाये रखना चाहते हैं।

Read more

स्वदेशी आंदोलन के आर्य नायक पंजाब केसरी लाला लाजपतराय

आर्य समाज से संबंधित होने के कारण वे अपनी बात को तथ्य और तर्क के साथ रखना उनके स्वभाव में आ गया था। घर में आध्यात्मिक और धार्मिक पुस्तकों का मानों भंडार था। इनके अध्ययन के साथ उन्होंने वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की और रोहतक तथा हिसार आदि नगरों में वकालत करने लगे थे।

Read more

भगवान बिरसा मुँडा ने अंग्रेजों से मुक्ति के लिये जीवन का बलिदान : जनजातीय गौरव दिवस

क्रान्तिकारी विरसा मुँडा ऐसी ही विभूति थे। उनमें अद्भुत आध्यात्म चेतना थी। जिससे पूरे समाज ने उन्हें “भगवान बिरसा मुँडा” कहकर शीश नवाया। भारत राष्ट्र की अस्मिता और साँस्कृतिक रक्षा के लिये भारतीय जनजातीयों ने सदैव संघर्ष किया है।

Read more

काशी हिंदू विश्वविद्यालय: महामना के स्वप्न की साकार प्रतिमूर्ति

यह संस्थान केवल एक विश्वविद्यालय भर नहीं अपितु भारत राष्ट्र की संपूर्णता की छविकृति है। यह महामना पंडित मदनमोहन मालवीय की उस स्वप्न छवि का साकार स्वरूप है जो उन्होंने भारत को एक गौरवमयी राष्ट्र केलिये पीढ़ी निर्माण का स्वप्न देखा था। वे बहुआयामी प्रतिभा और व्यक्तित्त्व के धनी थे। इसीलिए उन्हें “महामना” का सम्मान मिला। उनसे पहले और उनके बाद यह सम्मान किसी को न मिला।

Read more

क्राँतिकारी कन्हाई लाल दत्त ने गद्दार को जेल में गोली मारी

विश्वासघाती को सबक सिखाने वाले सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी कन्हाई लाल दत्त का जन्म 30 अगस्त 1888 को बंगाल के चंदननगर में हुआ था। उनका नाम सर्वतोष रखा गया। किन्तु उनका जन्म भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात को हुआ था इससे वे कन्हाई नाम कन्हाई से प्रसिद्ध हुये।

Read more

औरंगजेब के आदेश पर जिनकी क्रूर हत्या की गई

तब 9 नवम्बर 1675 को सबसे पहले भाई मतीदास को लकड़ी के पटियों में बाँधा गया। फिर जल्लादों ने सिर पर आरा रखा और धीरे धीरे चीरना आरंभ किया। उनके शरीर को कमर तक चीरकर दो भागों में बांट दिया गया। भयभीत करने के लिये यह दृश्य सभी बंदियों को दिखाया गया। फिर भी कोई न डिगा।

Read more