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माँ दुर्गा के नौ स्वरूप और उनका आध्यात्मिक महत्व

चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिन्दू नववर्ष या नव संवत्सर का आरंभ होता है ।जिसे भारत के विभिन्न राज्यों में जैसे महाराष्ट्र में गुड़ीपड़वा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, और कर्नाटक में उगादि, जम्मू कश्मीर में नवरेह तथा मणिपुर में साजिबु नोंगमा पंबा के नाम से जाना जाता है।

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होलिका दहन का वैदिक, पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व

 वैदिक काल में इस पर्व को नवासस्येष्टि यज्ञ कहा गया। उस समय अधपके अन्न को यज्ञ में दान कर प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता था। इस अन्न को होला कहते थे। अतः इसका नाम होलिकोत्सव पड़ा।

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प्राचीन भारत में स्त्री शिक्षा और विदुषियों का योगदान

उपनिषदकालीन ब्रह्मवादिनियाँ आज भी हिंदु समाज के विद्वत वर्ग में श्रद्धा से पूजी जाती हैं। ऋग्वेद में गार्गी, मैत्रेयी, घोषा, विश्ववारा, अपाला, अदिति, शची, लोपामुद्रा, सार्पराज्ञी, वाक्क, श्रद्धा, मेधा, सूर्या, सावित्री जैसी वेद मन्त्रद्रष्टा विदुषियों का उल्लेख मिलता है।

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भावनाओं का प्रभाव और महत्व : मनकही

शुद्ध भावनाओं से प्रेरित कार्य समाज और व्यक्ति दोनों के लिए हितकारी होते हैं। जीवन को सार्थक और सुखमय बनाने के लिए हमें अपनी भावनाओं को शुद्ध और सकारात्मक रखना चाहिए।

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जीवन की दौड़ में जीत का मंत्र आंतरिक शक्ति और धैर्य

कहानी के दोनों पात्रों के व्यवहार से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में सफलता के लिए आत्मचिंतन और परिस्थितियों के प्रति सजगता आवश्यक है। कछुआ हमें सिखाता है कि अपनी अंतरात्मा से जुड़े रहकर और बाहरी परिस्थितियों का अवलोकन करते हुए कर्मपथ पर निरंतर चलते रहने से सफलता निश्चित है।

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भारत में विविध परंपराओं का संगम दशहरा पर्व

दशहरा हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है। आश्विन मास (कुंवार मास) की शुक्लपक्ष की दसमीं तिथि को मनाया जाता है। यह

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