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पंडित मालिकराम भोगहा का साहित्यिक अवदान

उड़िया कवि सरलादास ने 14 वीं शताब्दी में लिखा था कि भगवान जगन्नाथ को शबरीनारायण से पुरी ले जाया गया है। यहां भगवान नारायण गुप्त रूप से विराजमान हैं और प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा को सशरीर विराजते हैं। इस दिन उनका दर्शन मोक्षदायी होता है।

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शक्ति उपासना का पर्व नवरात्र

छत्तीसगढ़ में शिवोपासना के साथ शक्ति उपासना प्राचीन काल से प्रचलित है। कदाचित इसी कारण शिव भी शक्ति के बिना शव या निष्क्रिय बताये गये हैं। योनि पट्ट पर स्थापित शिवलिंग और अर्द्धनारीश्वर स्वरूप की कल्पना वास्तव में शिव-शक्ति या प्रकृति-पुरूष के समन्वय का परिचायक है।

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मालवा और निमाड़ का प्रमुख उत्सव संजा

उत्सवों का मानव जीवन से आदिकाल से गहरा नाता रहा है। यह केवल सामूहिक उल्लास और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का माध्यम

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आस्था और प्रेम का प्रतीक तीजा तिहार

लोक परंपरा के अनुसार, तीजा के अवसर पर बेटियों को साड़ी उपहार में दी जाती है। छत्तीसगढ़ में एक कहावत भी प्रचलित है: “मइके के फरिया अमोल”—यानि मायके से मिले कपड़े का टुकड़ा भी अनमोल होता है। इस दिन माताएँ अपनी बेटियों के लिए चूड़ियाँ, फीते और सिन्दूर भी लाती हैं। तीजा की इस अनोखी परंपरा को निभाने का महत्व छत्तीसगढ़ के लोक जीवन में गहराई से बसा हुआ है।

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विष्णु भैया का सजा घर तीजा-पोरा पर पारंपरिक नंदिया-बइला और खिलौनों से सुसज्जित हुआ आंगन

हरेली की तरह मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के रायपुर स्थित निवास में तीजा-पोरा का तिहार 2 सितम्बर को सुबह 11 बजे से उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री निवास परिसर में छत्तीसगढ़ की परम्परा और रीति-रिवाज के अनुसार साज-सज्जा की गई हैं। इस मौके पर नांदिया-बैला की पूजा की जाएगी। तीजा महोत्सव का आयोजन होगा। तीजा-पोरा त्यौहार के लिए कार्यक्रम में बहनों को आमंत्रित किया गया है।

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खमरछठ के माध्यम से जैव विविधता संरक्षण का संदेश

कमरछठ पर्व में उपयोग होने वाली सभी वनस्पतियों, जीवों और प्राकृतिक सामग्रियों का संरक्षण और संवर्धन किया जाता है। यह पर्व भारतीय संस्कृति की जैव विविधता संरक्षण की अद्वितीय परंपरा को प्रदर्शित करता है, जिसमें वैज्ञानिकता और धार्मिकता का समन्वय है।

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