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बूँद-बूँद सागर : लाला जगदलपुरी की काव्य साधना का प्रतिबिंब

पुस्तक में आठ पृष्ठों में संपादक विनय श्रीवास्तव ने लाला जी की साहित्यिक यात्रा, उपलब्धियों और प्रकाशित कृतियों का गहन परिचय दिया है। वे केवल कवि नहीं, बल्कि एक सशक्त गद्य-शिल्पी, इतिहासकार और लोकसंस्कृति के सजग अध्येता भी थे।

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लोकभाषा से लोकमन तक लाला जगदलपुरी की बाल रचनाओं की जीवंतता

र्तमान पीढ़ी के बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि अपनी 93 साल की जीवन यात्रा के लगभग सात दशक साहित्य साधना में लगा देने वाले साहित्य महर्षि लाला जगदलपुरी ने बड़ों के लिखने के साथ -साथ बच्चों के लिए भी ख़ूब लिखा।

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मनुष्य के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन को राह दिखाने वाली पुस्तक : बोल -बत्तीसा

‘बोल -बत्तीसा’ में उनके स्वयं के दोहों और मुक्तकों सहित अन्य कवियों की काव्य पंक्तियों का भी समावेश है. ये छोटी -छोटी रचनाएँ ‘गागर में सागर’ जैसी हैं. पुस्तक के मुख पृष्ठ में यह बताने का प्रयास किया गया है कि मानव जीवन में क्या होना चाहिए और क्या नहीं होना चाहिए.

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साहित्य महर्षि लाला जगदलपुरी : पुण्यतिथि विशेष

लाला जगदलपुरी ने अपनी 93 साल की जीवन यात्रा के 77 साल साहित्य साधना में लगा दिए। सृजन चाहे आधुनिक

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