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लोक की प्रमुख देवियाँ सतबहिनियाँ

छत्तीसगढ़ में “सातबहिनियाँ” या “सात बहनें” के रूप में पूजित देवियों की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता अत्यधिक है। ये सात देवियाँ ग्रामीण और आदिवासी समाज की गहरी धार्मिक आस्था से जुड़ी हुई हैं, और इनकी पूजा विशेषकर सुरक्षा, समृद्धि, और आपदाओं से मुक्ति के लिए की जाती है।

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आहोम साम्राज्य की अनूठी स्थापत्य कला और परंपरा मोइदम

मोइदम (Moidams) असम राज्य के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर हैं। ये मोइदम ताई-अहोम राजाओं और उनके प्रमुख व्यक्तियों के मकबरे या समाधि हैं, जिन्हें उनके निधन के बाद निर्माण कराया गया था।

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देवी दुर्गा की आराधना और ऋतु परिवर्तन का पर्व नवरात्रि

नवरात्रि को कृषि और ऋतु परिवर्तन के संदर्भ में भी देखा जाता है। यह समय फसल की कटाई और नई फसल की बुवाई का होता है। शारदीय नवरात्रि विशेष रूप से शरद ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है, जब मौसम बदलता है और धरती पर नई ऊर्जा का संचार होता है।

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‘घुमक्कड़ जंक्शन’ स्मारिका का हुआ लोकार्पण

विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के अरण्य भवन में  प्रधान मुख्य वनसंरक्षक श्रीनिवास राव द्वारा ‘घुमक्कड़ जंक्शन’ पत्रिका के लोकार्पण हुआ। यह पत्रिका विशेष रूप से पर्यटन और यात्रा प्रेमियों के लिए समर्पित है, जिसका उद्देश्य स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देना है।

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मालवा और निमाड़ का प्रमुख उत्सव संजा

उत्सवों का मानव जीवन से आदिकाल से गहरा नाता रहा है। यह केवल सामूहिक उल्लास और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का माध्यम

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फसल उत्सव करमा नृत्य और जैव विविधता का महत्व

करमा नृत्य के बारे में कई पौराणिक कहानियाँ और धार्मिक धारणाएँ प्रचलित हैं। इसका संबंध ‘करम’ देवता से जोड़ा जाता है, जिन्हें कर्म का प्रतीक माना जाता है। करम देवता की पूजा फसलों की अच्छी पैदावार और परिवार की खुशहाली के लिए की जाती है।

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