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भारत की वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई

रानी को किले से हटकर झाँसी के रानी महल में आना पड़ा। उन्होंने इसे अपने स्वाभिमान पर आघात माना और अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष का संकल्प लिया। रानी ने नाना साहब पेशवा से संपर्क कर योजना बनाई और महिला ब्रिगेड का गठन किया, जिसका नेतृत्व झलकारी बाई को सौंपा गया।

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डिजिटल युग में प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों की चुनौतियां

वर्तमान दौर में पत्रकारों को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो न केवल उनके पेशेवर जीवन बल्कि उनके व्यक्तिगत जीवन को भी प्रभावित करती हैं। पत्रकारों को कई बार गंभीर शारीरिक खतरों का सामना करना पड़ता है, खासकर जब वे भ्रष्टाचार, अपराध, या सत्ता के दुरुपयोग को उजागर करते हैं।

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सूर्योपासना पर्व छठ पूजा का सांस्कृतिक, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

सूर्य को वैदिक साहित्य में ‘सूर्य नारायण’ या ‘सविता’ के रूप में पूजा जाता है। ऋग्वेद में सूर्य को जीवनदायिनी शक्ति का प्रतीक माना गया है, और उसे सभी प्राणियों के अस्तित्व का आधार बताया गया है।

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गोर्वधन पूजा का कारण एवं महत्व

आज गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथाएं है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है।

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भगवान धन्वंतरि के प्राकट्य एवं स्वास्थ्य और समृद्धि का पर्व धनतेरस

भगवान धन्वंतरि को हिंदू धर्म और भारतीय चिकित्सा विज्ञान (आयुर्वेद) में एक महान चिकित्सक और देवताओं के वैद्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। उन्हें स्वास्थ्य, औषधि और चिकित्सा विज्ञान के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। धन्वंतरि की उपासना विशेष रूप से आयुर्वेद और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों द्वारा की जाती है।

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संतान की दीर्घायु की कामना से मनाये जाने वाला लोकपर्व अहोई अष्टमी

अहोई आठें विशेष रूप से संतान की सुरक्षा, अच्छे स्वास्थ्य और उनकी समृद्धि के लिए मनाया जाता है। इस दिन माताएं निर्जल उपवास रखती हैं और रात को तारों के दर्शन कर या चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही अपना व्रत पूर्ण करती हैं।

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