सीय राममय सब जग जानी : सीता जयंती विशेष
माता सीता का जन्म मिथिला (वर्तमान में नेपाल) के राजा जनक के घर में हुआ था, इसलिए उन्हें ‘जानकी’ कहा जाता है। वे माता पृथ्वी की कन्या मानी जाती हैं, जिन्हें राजा जनक ने यज्ञ भूमि से प्राप्त किया था।
Read moreमाता सीता का जन्म मिथिला (वर्तमान में नेपाल) के राजा जनक के घर में हुआ था, इसलिए उन्हें ‘जानकी’ कहा जाता है। वे माता पृथ्वी की कन्या मानी जाती हैं, जिन्हें राजा जनक ने यज्ञ भूमि से प्राप्त किया था।
Read moreमानव सभ्यता के विकास का जहाँ भी वर्णन होता है वहां स्वत: ही तकनीकि रुप से दक्ष परम्परागत शिल्पकारों के
Read moreनर्मदा नदी को ‘जीवित नदी’ के रूप में पूजा जाता है और इसे मातृ रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। इस नदी के तट पर अनेक धार्मिक स्थल स्थित हैं, जैसे ओंकारेश्वर, महेश्वर, अमरकंटक, मांडू, और होशंगाबाद। ओंकारेश्वर में स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के धार्मिक महत्व को और भी बढ़ाता है।
Read moreबसंत ऋतु कवियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रही है। कालिदास से लेकर आधुनिक हिंदी कवियों तक, सभी ने अपने काव्य में इस ऋतु की छटा बिखेरी है। बसंत को प्रेम, सौंदर्य, उल्लास और नवजीवन का प्रतीक माना जाता है, जो काव्य और साहित्य को मधुरता प्रदान करता है। बसंत पंचमी केवल ऋतु परिवर्तन का प्रतीक ही नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। इसका संबंध ज्ञान, प्रेम, सौंदर्य और उल्लास से है। यह पर्व पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति की महानता को दर्शाता है।
Read moreमौनी अमावस्या का महत्व केवल धार्मिक और आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी है। यह दिन अमावस्या का दिन होता है, जब चंद्रमा और सूर्य एक ही राशि में होते हैं। इस खगोलीय घटना का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है और नदियों तथा समुद्र में ज्वार-भाटे उत्पन्न होते हैं।
Read moreजंगम साधु कुंभ मेले का एक अनिवार्य अंग हैं। उनकी अनूठी परंपराएं, भजन, और वेशभूषा भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं की धरोहर हैं। उनका शिव भक्ति में लीन जीवन और समाज को दिया गया अध्यात्मिक संदेश आज भी प्रेरणादायक है। कुंभ मेले में उनकी उपस्थिति इसे और अधिक दिव्य और पवित्र बनाती है।
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