लक्ष्मण मस्तुरिया

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जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया : छत्तीसगढ़ी चेतना के स्वर

वास्तव में लक्ष्मण मस्तुरिया की ये हिन्दी कविताएँ मानव हृदय की कोमल भावनाओं के साथ गाँव, शहर, देश और समाज की जीवन व्यापी हलचल और आज के मनुष्य के दुःख-दर्द का एक जीवंत दस्तावेज़ हैं।

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चोला माटी के हो राम, माटी के गीत गाने वाला, माटी का लाल, माटी में समा गया

जीवन भर माटी-महतारी की महिमा का बखान करने वाला माटी का लाल यह प्रतिभावान कवि छत्तीसगढ़ की माटी में समा गया।

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