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अपने मरे ही स्वर्ग दर्शन : मनकही

मन पछितहिएँ अवसर बीते अर्थात समय रहते कुछ नहीं किया दूसरे के भरोसे बैठे रहे और आज पछताने के सिवाय कुछ नहीं मिला। तभी तो कबीर दास जी ने कहा है–

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जीवन और सुख-दुःख का आधार मन : मनकही

मन चंचल होता है, मन की गति अत्यधिक तीव्र होती है। जीवन में सुख-दुःख क्या है? मन के भाव ही

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स्वयं का पुरजोर उद्यम है सफ़लता

जीवन में सफलता निज कार्यों पर आधारित होती है। सही समय पर किया गया उचित प्रयास सफलता की संभावना को

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सड़क एवं मनुष्य का जीवन एक जैसा : मनकही

बस शब्द के चार पर्याय है बस ,वश ,बस और बस। यहां पहले बस का अर्थ पर्याप्त या काफी है

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