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परम् पूज्य गुरुजी माधव सदाशिव गोलवलकर: जीवन एवं योगदान

माधव सदाशिव गोलवलकर, जिन्हें “परम पूज्य गुरुजी” के नाम से जाना जाता है, का जन्म 19 फ़रवरी 1906 को महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ। उनके पिता सदाशिवराव ‘भाऊ जी’ शिक्षक थे, और माता लक्ष्मीबाई ‘ताई’ धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं की वाहक थीं। बचपन से ही असाधारण मेधा के धनी माधव जी की शिक्षा दो वर्ष की आयु से ही प्रारंभ हो गई थी।

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भाजपा को सत्ता दूर करने के लिये उलेमा बोर्ड, 180 एनजीओ और छद्म सेकुलरी मैदान में

भारत के विभाजन, लाखों लोगों के बलिदान और करोड़ों लोगों के बेघर होने के बाद भी नहीं रुका। इसमें तीन प्रकार की शक्तियाँ काम कर रहीं हैं। एक वे मुस्लिम कट्टरपंथी जो मुस्लिम समाज को राष्ट्र की मूल धारा से अलग और आक्रामक बनाये रखना चाहते हैं।

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रामजी के ध्येयनिष्ट संघर्ष और संकल्प जैसी है संघ की शताब्दी यात्रा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पूरी शताब्दी यात्रा भी संकल्पना से युक्त है। संघ का प्रत्येक  स्वयंसेवक और कार्यकर्ता मानों राजकाज का सैनिक है और सनातन संस्कृति और मानवीय मूल्यों की संस्थापना अभियान केलिये समर्पित है।

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राष्ट्र निर्माण और सामाजिक परिवर्तन का आंदोलन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

संघ की रीति-नीति में महान सनातन के आदर्श निहित हैं, मातृभूमि सर्वोपरि है,इसलिए शक्ति की उपासना और विजयादशमी के निहितार्थ की कथा समझना अपरिहार्य है। विजयादशमी पर्व के अद्भुत वृतांत का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं है, वरन् अहम की मनोवृत्ति को समझाना है,कि -अहम ही,अधर्म का मूल है और अहम ही सर्वनाश की जड़ है।

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दशहरे की अनूठी परंपराएँ बस्तर से लेकर कुल्लू तक

भारत में विजयादशमी का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है, इसे किसी न किसी रुप में उत्सवपूर्वक मनाया जाता

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मंगलुरू में सांप्रदायिक हिंसा: पूजा स्थलों पर पत्थरबाजी, पुलिस ने की सख्त निगरानी

कर्नाटक के मंगलुरू में सोमवार को सांप्रदायिक हिंसा फैल गई, जब दो पूजा स्थलों पर पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं। रात भर कटिपल्ला नगर में पत्थरबाजी की गई, लेकिन पुलिस की त्वरित कार्रवाई के कारण स्थिति नियंत्रण में आ गई

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