\

भारतीय पुरातत्व के अग्रदूत डॉ. हरिभाऊ वाकणकर

डाक्टर हरिभाऊ वाकणकर की गणना संसार के प्रमुख पुरातत्वविदों में होती है । उन्होंने भारत के विभिन्न वनक्षेत्र के पुरातन जीवन और भोपाल के आसपास लाखों वर्ष पुराने मानव सभ्यता के प्रमाण खोजे । भीम बैठका उन्ही की खोज है । उनके शोध के बाद विश्व भर के पुरातत्वविद् भारत आये और डाक्टर वाकणकर से मार्गदर्शन लिया।

Read more

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का वैश्विक प्रभाव

बांग्लादेश में तो हाल ही के समय में सत्ता पलट के पश्चात हिंदुओं सहित वहां के अल्पसंख्यक समुदायों पर कातिलाना हमले किए गए हैं। केवल बांग्लादेश ही क्यों बल्कि विश्व के किसी भी अन्य देश में हिंदुओं के साथ इस प्रकार की घटनाओं का कड़ा विरोध होना चाहिए।

Read more

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बढ़ते कदम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 100 वर्षों में हिंदू समाज को एकजुट करने और राष्ट्रीयता का भाव जागृत करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। संघ की शाखाओं की संख्या 83,000 से अधिक हो चुकी है, और इसके कार्य 53 देशों में फैल गए हैं। संघ का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीयता को हर व्यक्ति तक पहुँचाना है।

Read more

विश्व शांति एवं समृद्धि के लिए हिंदुओं को एक करने का प्रयास करता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

वैश्विक अशांति के बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारत में समरस और संगठित हिंदू समाज निर्माण का प्रस्ताव पास किया है। इस प्रस्ताव में भारत की प्राचीन संस्कृति के महत्व और राष्ट्र के विकास के लिए सनातन संस्कारों के पालन पर जोर दिया गया है। संघ के प्रयासों से सामाजिक समरसता, पर्यावरणीय जागरूकता और नागरिक कर्तव्यों की भावना बढ़ रही है।

Read more

अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पॉडकास्ट के मुख्य बिंदू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक विस्तृत पॉडकास्ट साक्षात्कार में भाग लिया, जिसमें उन्होंने अपने जीवन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ाव, भारत की संस्कृति, शांति और वैश्विक कूटनीति पर अपने विचार साझा किए।​ इसके साथ अपने पॉडकास्ट साक्षात्कार में विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर गहराई से चर्चा की।

Read more

परम् पूज्य गुरुजी माधव सदाशिव गोलवलकर: जीवन एवं योगदान

माधव सदाशिव गोलवलकर, जिन्हें “परम पूज्य गुरुजी” के नाम से जाना जाता है, का जन्म 19 फ़रवरी 1906 को महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ। उनके पिता सदाशिवराव ‘भाऊ जी’ शिक्षक थे, और माता लक्ष्मीबाई ‘ताई’ धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं की वाहक थीं। बचपन से ही असाधारण मेधा के धनी माधव जी की शिक्षा दो वर्ष की आयु से ही प्रारंभ हो गई थी।

Read more