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दुर्बल नहीं, सबल बनो – स्वामी विवेकानंद

शक्ति, शक्ति, शक्ति, यही वह है जिसकी हमें जीवन में सर्वाधिक आवश्यकता है। कमजोर के लिए यहाँ कोई जगह नहीं हैं, न इस जीवन, न ही किसी और जीवन में । दुर्बलता गुलामी की ओर ले जाती है । दुर्बलता हर प्रकार की दुर्गति की ओर ले जाती है- शारीरिक और मानसिक । शक्ति ही जीवन है और दुर्बलता मृत्यु

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योग और संगीत दो शरीर एक आत्मा

संगीत स्वयं ब्रह्म नाद है और योग ब्रह्म तक पहुंचने का सोपान। प्रकृति लय ताल युक्त संगीत मय है और

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