भारत की वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई
रानी को किले से हटकर झाँसी के रानी महल में आना पड़ा। उन्होंने इसे अपने स्वाभिमान पर आघात माना और अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष का संकल्प लिया। रानी ने नाना साहब पेशवा से संपर्क कर योजना बनाई और महिला ब्रिगेड का गठन किया, जिसका नेतृत्व झलकारी बाई को सौंपा गया।
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