भारतीय संस्कृति

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आस्था और प्रेम का प्रतीक तीजा तिहार

लोक परंपरा के अनुसार, तीजा के अवसर पर बेटियों को साड़ी उपहार में दी जाती है। छत्तीसगढ़ में एक कहावत भी प्रचलित है: “मइके के फरिया अमोल”—यानि मायके से मिले कपड़े का टुकड़ा भी अनमोल होता है। इस दिन माताएँ अपनी बेटियों के लिए चूड़ियाँ, फीते और सिन्दूर भी लाती हैं। तीजा की इस अनोखी परंपरा को निभाने का महत्व छत्तीसगढ़ के लोक जीवन में गहराई से बसा हुआ है।

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छत्तीसगढ़ में आठे कन्हैया और जन्माष्टमी उत्सव

रायगढ़ के राजा भूपदेवसिंह के शासनकाल में नगर दरोगा ठाकुर रामचरण सिंह जात्रा से प्रभावित रास के निष्णात कलाकार थे। उन्होंने इस क्षेत्र में रामलीला और रासलीला के विकास के लिए अविस्मरणीय प्रयास किया। गौद, मल्दा, नरियरा और अकलतरा रासलीला के लिए और शिवरीनारायण, किकिरदा, रतनपुर, सारंगढ़ और कवर्धा रामलीला के लिए प्रसिद्ध थे। नरियरा के रासलीला को इतनी प्रसिद्धि मिली कि उसे ‘छत्तीसगढ़ का वृंदावन‘ कहा जाने लगा।

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शक्ति, संरक्षण और संस्कृति का प्रतीक : रक्षा सूत्र

भविष्य पुराण में बताया गया है कि रक्षा कवच बांधने की प्रथा की शुरूवात महाराज इंद्र की पत्नी शचि ने किया था। जब देव और दानवों के बीच युद्ध चल रहा था तब इंद्राणी ने अपने पति की विजय कामना के लिए उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र और चांवल-सरसों को बांधकर उनकी सुरक्षा और विजय की कामना की थी जिससे वे असुरों पर विजय प्राप्त कर सके थे।

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जैव विविधता संरक्षण में हाथियों की भूमिका और मानव-हाथी संघर्ष

हाथियों के हमलों में प्रतिवर्ष सैकड़ों लोगों की जान जा रही है और फ़सलों के साथ सम्पत्ति को नुकसान पहुंच रहा है, इस कारण हाथी भी मनुष्य के द्वारा मारे जा रहे हैं। जबकि हाथी का होना जैव विविधता संरक्षण में उतना ही जरुरी है जितना किसी अन्य प्राणी का। इन घटनाओं से मनुष्य एवं हाथियों के बीच सहअस्तित्व खत्म हो रहा है।

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विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में नाग एवं जैव विविधता संरक्षण

नागों की उपस्थिति एवं उनकी पूजा प्राचीन सभ्यताओं एवं संस्कृतियों महत्व स्थान रखती है। भले ही उनकों अलग-अलग रुपों या कारणों से पूजा जाता हो परन्तु वे मानव सभ्यताओं में विशेष स्थान रखते हुए वर्तमान में भी विशिष्ट बने हुए हैं।

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धरती माँ का श्रृंगार और हरियाली का जतन: एक पेड़ माँ के नाम

भारतीय संस्कृति में माँ सदैव पूजनीय रही हैं। माँ की महिमा को अलग-अलग धर्मों में विभिन्न तरीकों से वर्णित किया गया है। हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने करोड़ों देशवासियों से आह्वान किया है कि आइए माँ के नाम एक पेड़ लगाइए। इस पहल का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को सुधारना और धरती माँ को हरियाली से सजाना है।

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