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देवर्षि नारद जयंती: संवाद, संस्कृति और सनातन मूल्यों की प्रेरणा

ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीया को देवर्षि नारद की जयंती के रूप में मनाया जाता है। संवाद, संस्कृति और सत्य के प्रचार में उनके योगदान को आधुनिक पत्रकारिता का आदर्श माना जाता है। वे केवल देवताओं के प्रवक्ता नहीं, बल्कि समाज सुधार, नीति मार्गदर्शन और धर्म की स्थापना के प्रेरक भी थे। उनका जीवन आज के संवाद माध्यमों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत है।

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वीर संभाजी महाराज का बलिदान: धर्म और स्वाभिमान की अद्वितीय मिसाल

छत्रपति संभाजी महाराज भारतीय इतिहास के वे अमर बलिदानी हैं, जिन्होंने औरंगजेब की क्रूर यातनाओं को झेलकर भी धर्म और देश की रक्षा की। उनका जीवन संघर्ष, शौर्य और अटूट संकल्प की मिसाल है। जानिए कैसे उन्होंने 210 युद्ध जीते और अंत तक हिंदवी स्वराज्य के लिए लड़ते हुए अमर बलिदान दिया।

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सनातन हिंदू धर्म एवं भारत में उत्पन्न समस्त मत पंथ विश्व में शांति चाहते हैं

भारत में सनातन हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध, जैन, सिख जैसे अनेक मत पंथों का विकास हुआ है, जो सभी किसी न किसी रूप में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक मूल्यों से जुड़े हैं। इनकी तुलना में सेमेटिक धर्म जैसे यहूदी, ईसाई और इस्लाम एकेश्वरवाद और कर्मकांड पर आधारित हैं। भारत की धार्मिक विविधता और सहिष्णुता ही उसे विश्व में एक विशिष्ट स्थान प्रदान करती है।

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भारतीय सभ्यता के एकीकरण के प्रणेता : विष्णु श्रीधर वाकणकर

हरिभाऊ की सबसे प्रसिद्ध उपलब्धि भीमबेटका की गुफा चित्रों की खोज है, जिसने भारतीय पुरातत्व को वैश्विक पहचान दिलाई। 1958 में, एक रेल यात्रा के दौरान, हरिभाऊ ने मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित कुछ गुफाओं और चट्टानों को देखा।

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भारत की आत्मा को जीवंत करने वाला कलाकार: मनोज कुमार

मनोज कुमार की पहचान उनकी देशभक्ति की फ़िल्में बनी, मनोज कुमार ने अपने करियर में देशभक्ति को अपनी फिल्मों का मुख्य आधार बनाया। उनकी फिल्में केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं थीं, बल्कि वे समाज को जागरूक करने और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने का माध्यम भी बनीं। “शहीद” में भगत सिंह की शहादत, “उपकार” में किसान और जवान की एकता, “पूरब और पश्चिम” में भारतीय संस्कृति की महिमा, और “क्रांति” में स्वतंत्रता संग्राम की भावना को उन्होंने पर्दे पर जीवंत किया।

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भारतीय पुरातत्व के अग्रदूत डॉ. हरिभाऊ वाकणकर

डाक्टर हरिभाऊ वाकणकर की गणना संसार के प्रमुख पुरातत्वविदों में होती है । उन्होंने भारत के विभिन्न वनक्षेत्र के पुरातन जीवन और भोपाल के आसपास लाखों वर्ष पुराने मानव सभ्यता के प्रमाण खोजे । भीम बैठका उन्ही की खोज है । उनके शोध के बाद विश्व भर के पुरातत्वविद् भारत आये और डाक्टर वाकणकर से मार्गदर्शन लिया।

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