भारतीय संस्कृति

futuredलोक-संस्कृति

वैदिक युग से आधुनिक काल तक सोलह श्रृंगार की सांस्कृतिक यात्रा

स्त्री सौंदर्य, अलंकरण और सोलह श्रृंगार की परंपरा वैदिक काल से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। जानिए कैसे यह श्रृंगार भावनात्मक, धार्मिक और सौंदर्यात्मक प्रतीक के रूप में विकसित हुआ।

Read More
futuredलोक-संस्कृति

प्रकृति और पर्यावरण के संतुलन का संदेश देता मार्गशीर्ष

भगवान कृष्ण द्वारा बताए मार्गशीर्ष मास का पर्यावरणीय और आध्यात्मिक महत्व—प्रकृति, संतुलन और कृतज्ञता का संदेश देता महीना।

Read More
futuredइतिहासविविध

राष्ट्र की आत्मा का अमर गीत वन्दे मातरम्

वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की स्वतंत्रता चेतना का प्रतीक है। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की कलम से निकला यह राष्ट्रगीत स्वाधीनता संग्राम के दौरान जन-जन की आवाज बना। शताब्दी वर्ष पर यह गीत आज भी भारत के सांस्कृतिक गौरव, एकता और मातृभूमि-भक्ति का प्रतीक है।

Read More
futuredसाहित्य

देवताओं का प्रिय और प्रकृति की साधना मास मार्गशीर्ष

श्रीकृष्ण का वचन “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” केवल धार्मिक कथन नहीं, बल्कि एक पर्यावरणीय दर्शन है। जब हम इस भाव को जीवन में अपनाते हैं, तब हमारे भीतर करुणा, संतुलन और कृतज्ञता स्वतः जागृत होती है।

Read More
futuredहमारे नायक

आर्य समाज के प्रखर प्रचारक, राष्ट्रवादी विचारक और गदर आंदोलन के क्रांतिकारी भाई परमानंद

आर्य समाज के प्रखर प्रचारक, राष्ट्रवादी विचारक और गदर आंदोलन के क्रांतिकारी भाई परमानंद ने राष्ट्र, संस्कृति और स्वतंत्रता के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया।

Read More
futuredछत्तीसगढताजा खबरें

आंवला नवमी पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने की आंवला वृक्ष की पूजा, प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की

आंवला नवमी के अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने धर्मपत्नी कौशल्या साय के साथ आंवला वृक्ष की पूजा कर प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की कामना की। उन्होंने कहा कि आंवला वृक्ष भारतीय संस्कृति में औषधीय और आध्यात्मिक महत्व रखता है तथा वृक्षों का संरक्षण हर नागरिक का कर्तव्य है।

Read More