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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बढ़ते कदम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 100 वर्षों में हिंदू समाज को एकजुट करने और राष्ट्रीयता का भाव जागृत करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। संघ की शाखाओं की संख्या 83,000 से अधिक हो चुकी है, और इसके कार्य 53 देशों में फैल गए हैं। संघ का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीयता को हर व्यक्ति तक पहुँचाना है।

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विश्व शांति एवं समृद्धि के लिए हिंदुओं को एक करने का प्रयास करता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

वैश्विक अशांति के बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारत में समरस और संगठित हिंदू समाज निर्माण का प्रस्ताव पास किया है। इस प्रस्ताव में भारत की प्राचीन संस्कृति के महत्व और राष्ट्र के विकास के लिए सनातन संस्कारों के पालन पर जोर दिया गया है। संघ के प्रयासों से सामाजिक समरसता, पर्यावरणीय जागरूकता और नागरिक कर्तव्यों की भावना बढ़ रही है।

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भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक धरोहर के रक्षक: हनुमान प्रसाद पोद्दार

किसी भी राष्ट्र और समाज के लिये केवल राजनैतिक स्वतंत्रता ही पर्याप्त नहीं होती। उसकी अपनी एक साँस्कृतिक विरासत होती

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प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ की सफलता को “उभरते भारत” की भावना बताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ 2025 के सफल आयोजन को “उभरते भारत” की भावना का प्रतीक बताया और इसे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक माना। उन्होंने महाकुंभ को एकता, समर्पण और देशभक्ति की भावना से भरा आयोजन बताया, जिसमें लाखों लोग एकत्रित होकर देश की एकता को मजबूत करते हैं। इसके साथ ही मोदी ने नदियों की सफाई और जल संरक्षण पर भी जोर दिया।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार RSS मुख्यालय नागपुर का दौरा करेंगे, 30 मार्च को हो सकती है बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मार्च को पहली बार नागपुर में RSS मुख्यालय का दौरा करेंगे, जहां वे संघ प्रमुख मोहन भागवत और अन्य नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। इस दौरे के दौरान, मोदी माधव नेत्रालय के बिल्डिंग विस्तार की नींव भी रखेंगे। यह बैठक भाजपा और RSS के रिश्तों को मजबूत करने के संदर्भ में महत्वपूर्ण मानी जा रही है, खासकर जब भाजपा नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया में है।

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होलिका दहन का वैदिक, पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व

 वैदिक काल में इस पर्व को नवासस्येष्टि यज्ञ कहा गया। उस समय अधपके अन्न को यज्ञ में दान कर प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता था। इस अन्न को होला कहते थे। अतः इसका नाम होलिकोत्सव पड़ा।

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