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औरंगजेब के आदेश पर जिनकी क्रूर हत्या की गई

तब 9 नवम्बर 1675 को सबसे पहले भाई मतीदास को लकड़ी के पटियों में बाँधा गया। फिर जल्लादों ने सिर पर आरा रखा और धीरे धीरे चीरना आरंभ किया। उनके शरीर को कमर तक चीरकर दो भागों में बांट दिया गया। भयभीत करने के लिये यह दृश्य सभी बंदियों को दिखाया गया। फिर भी कोई न डिगा।

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