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प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के सदस्यों का कश्मीर चुनाव मैदान में उतरने का अर्थ?

जम्मू कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनावों से एक चौंकाने वाली खबर आई है। प्रतिबंधित जमायते इस्लामी के पाँच पूर्व पदाधिकारियों ने निर्दलीय रूप से अपनी उम्मीदवारी घोषित कर दी है। इस संगठन ने 1987 के बाद से किसी चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था और 1993 से 2003 के बीच हुये हर चुनाव को “हराम” बताकर बहिष्कार की अपील की थी। लेकिन जमात ने इस बार अपनी रणनीति में बदलाव किया है।

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एक प्रश्न पुलवामा हमले के आरोपी के साथ सहानुभूति रखने वालों के लिये : राजीव रंजन प्रसाद

मेरा प्रश्न पुलवामा हमले के आरोपी के साथ सहानुभूति रखने वालों के लिये है कि एब्बा की हत्या क्या ब्रेंटन टैरंट को आतंकवादी होने का कारण मुहैय्या कराती है? क्या इस तरह उसे सैंकडों लोगों की जान लेने का लाईसेंस मिल जाता है? हत्यारे अपने मानसिक पागलपन का कोई भी कारण सामने रखें वह भर्त्सनायोग्य ही है।

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