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पर्यावरण की अनदेखी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: ‘पूर्वव्यापी मंजूरी’ पर रोक, 2017 और 2021 की अधिसूचनाएं अवैध घोषित

सुप्रीम कोर्ट ने 2017 और 2021 की पर्यावरणीय अधिसूचनाओं को असंवैधानिक करार देते हुए ‘पूर्वव्यापी पर्यावरण मंजूरी’ की व्यवस्था को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कदम मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं।

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मुख्यमंत्री ने खुद रखा सोखता गड्ढे में ईंट, जल संरक्षण के प्रति जताई प्रतिबद्धता

मुख्यमंत्री ने राज मिस्त्री बन सोखता गड्ढा के लिए की ईट जोड़ाई

पानी बचाने के लिए जल संचयन वाहिनी के काम को सराहा

बलौदाबाजार, 9 मई 2025 / मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय प्रदेश व्यापी सुशासन तिहार अंतर्गत आज विकासखंड कसडोल के विशेष पिछडी जनजाति कमार बाहुल्य गांव बल्दाकछार पहुंचे। उन्होंने मोर गांव, मोर पानी महाभियान अंतर्गत जल संचयन के लिए जल संचयन वाहिनी द्वारा निर्माण किये जा रहे सोखता गड्ढे का अवलोकन किया। उन्होंने स्वयं कैचा लेकर निर्माणाधीन सोखता गड्ढा में ईंट जोड़ाई किया। पानी बचाने के लिए जल संचयन वाहिनी के कार्यों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संकट से बचने इस तरह के प्रयास जरुरी है।

जल संचयन वाहिनी के सदस्य ललिता ध्रुव ने बताया कि मोर गांव, मोर पानी महाभियान के तहत
बल्दाकछार में अब तक 10 नलकूपो के पास सोखता गड्ढे का निर्माण किया जा चुका है। इस अभियान के तहत तालाबों की सफाई, जागरूकता रैली, दीवाल लेखन, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने पंचायत राज दिवस के अवसर पर 24 अप्रैल 2025 को मोर गांव मोर पानी महाभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत बलौदाबाजार- भाटापारा जिले के सभी 519 ग्राम पंचायतों में अब तक नलकूपो के पास 2500 सोखता गड्ढे का निर्माण पूरा कर लिया गया है।इसके साथ ही करीब 1291 तालाबों की सफाई किया गया है। जल संचयन हेतु ग्राम स्तर पर ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति की बैठक आयोजित की जा रही है, जिसमें वर्षा पानी संचयन हेतु आवश्यक निर्माण का प्रस्ताव एवं जल संचयन हेतु निर्मित संरचनाओं का ग्रामवासियों द्वारा भौतिक सत्यापन किया जा रहा है। प्रत्येक पंचायत में 2 जल संचयन वाहिनी क़ा गठन किया गया है जो जल संचयन के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित कर रही हैं।

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पृथ्वी मेरी माता है और मैं उसका पुत्र हूँ : पृथ्वी दिवस विशेष

हमारी सनातन संस्कृति में पृथ्वी और प्रकृति को केवल भौतिक संसाधन नहीं, बल्कि जीवंत, पूज्य और मातृस्वरूप माना गया है। वेदों, उपनिषदों और पुराणों में प्रकृति के प्रति गहन श्रद्धा, संरक्षण और सह-अस्तित्व की भावना स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।

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काशी में मोहन भागवत ने कहा “सभी हिंदुओं के लिए मंदिर, पानी और श्मशान समान हों”

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने काशी (वाराणसी) में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान हिंदू समाज में समानता और एकता की जरूरत पर बल दिया। आईआईटी बीएचयू के जिमखाना मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “सभी हिंदुओं के लिए मंदिर, पानी और श्मशान समान होने चाहिए।”

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हैदराबाद विश्वविद्यालय विवाद: “कांचा गचीबोवली की पूरी भूमि वन जैसी” — सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट

हैदराबाद की कांचा गचीबोवली भूमि को लेकर चल रहे विवाद में सुप्रीम कोर्ट की समिति ने कहा है कि यह क्षेत्र वन क्षेत्र के सभी लक्षणों से युक्त प्रतीत होता है। राज्य सरकार द्वारा इसे औद्योगिक विकास हेतु नीलाम करने की योजना पर छात्रों और पर्यावरणविदों ने विरोध जताया है।

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आज की दुनिया के लिए शांति और संतुलन का रास्ता : महावीर स्वामी का दर्शन

महावीर स्वामी, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, एक महान आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक थे, जिनकी शिक्षाएं आज भी उतनी ही सार्थक और प्रासंगिक हैं, जितनी उस समय थीं, जब उन्होंने इन्हें समाज के समक्ष रखा।

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