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अलख निरंजन शब्द की उत्पत्ति एवं सामाजिक आध्यात्मिक प्रभाव

अलख, अ+लख, जो दिखाई न दे, जो दृष्टिगोचर न हो। माने निराकार और निराकार ईश्वर को ही कहा गया है। निरंजन शब्द की उत्पत्ति अंजन शब्द में निर् प्रत्यय लगाने के बाद होती है। निर का अर्थ है बिना या रहित तथा अंजन का अर्थ है काजल या अंधकार। निरंजन का शाब्दिक अर्थ होता है “जो अंजन (काजल या अंधकार) से रहित हो। किन्तु इसका तत्वार्थ बहुत गहरा है।

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योग व्यवहारिक जीवन पद्धति है

जब भी हम योग की बात करते हैं, तब आसन और प्राणायाम की बात होती है। केवल कुछ योगासन और

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योग का उद्भव विकास एवं विश्व को भारत की देन

योग का उद्भव और विकास भारत में प्राचीन काल से होता आ रहा है, और यह आज भी विकासशील है। विभिन्न ऋषियों, आचार्यों और आधुनिक योग गुरुओं ने योग को एक व्यापक और सार्वभौमिक विधा के रूप में स्थापित किया है।

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