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विध्वंस और पुनर्निर्माण का इतिहास : जगन्नाथ पुरी

उड़ीसा प्राँत के पुरी में विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा और रथोत्सव 7 जुलाई से आरंभ हो रहा है। जो 16

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भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान शिवरीनारायण

सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में रथदूज बड़ा पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन बेटी को बिदा करने, बहू को लिवा लाने, नये दुकानों की शुरूवात और गृह प्रवेश जैसे महत्वपूर्ण कार्य सम्पन्न कराये जाते हैं। इस दिन अपने स्वजनों, परिजनों और मित्रों के घर मेवा-मिष्ठान भिजवाने की परम्परा है। बच्चे नये कपड़े पहनते हैं और उन्हें खर्च करने के लिए पैसा दिया जाता है।

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जगन्नाथ यात्रा का विशेष सांस्कृतिक महत्व

प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि को सम्पूर्ण भारत में निकाली जाने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा की परम्परा

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एस्क्लुसिव स्टोरी : जानिए भगवान जगन्नाथ के रथ का निर्माण कैसे किया जाता है?

रथ का निर्माण भगवान विश्वकर्मा के वंशज परम्परागत शिल्पकार महाराणा करते हैं, ये शिल्पकार उड़ीसा में प्राचीन काल से स्थापत्य एवं निर्माण कार्य करते हैं। कोणार्क के मंदिर का निर्माण करने वाले शिल्पकार विसु महाराणा का उल्लेख तेहरवीं शताब्दी में मिलता है, जिसमें कोर्णाक मंदिर निर्माण की योजना तैयार की एवं उसका निर्माण किया।

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