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छत्तीसगढ़ की प्रथम कालापानी की सजा-हटे सिंह को : सुरेन्द्र साय का उलगुलान

यह लेख छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण क्रांतिकारियों, विशेष रूप से वीर नारायण सिंह, माधो सिंह और वीर सुरेंद्र साय के योगदान को उजागर करता है।

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प्राचीन छत्तीसगढ़ के रचयिता प्यारेलाल गुप्त की साहित्य साधना

रविशकर वि”वविद्यालय रायपुर से सन् 1973 में प्रकाशित इस ग्रंथ में प्रागैतिहासिक काल से लेकर आधुनिक युग के पूर्व तक का श्रृंखलाबद्ध इतिहास है। इस ग्रंथ में न केवल प्राचीन छत्तीसगढ़ का इतिहास बल्कि सांस्कृतिक परम्पराओं, लोक कथाओं, पुरातत्व और साहित्य का उल्लेख है। इस ग्रंथ को ‘छत्तीसगढ़ का इनसाइक्लोपीडिया‘ माना जा सकता है। उन्होंने छत्तीसगढ़ की पदयात्रा करके इस ग्रंथ के लिए सामग्री जुटायी थी।

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छत्तीसगढ़ में हैरिटेज वॉक श्रृंखला : रायपुर के इतिहास की खोज

रायपुर के इतिहास के बारे में बताया कि कलचुरि शासक ब्रह्मदेव के दो शिलालेख पंद्रहवीं सदी के आरंभिक वर्षों के हैं, जिनसे ब्रह्मदेव के वंश में उसके पिता रामचंद्र के क्रम में सिंहण और लक्ष्मीदेव की जानकारी मिलती है। रायपुर शहर का उल्लेख 1790 में आए अंग्रेज यात्री डेनियल रॉबिन्सन लेकी के यात्रा वृतांत में भी मिलता है, जिसमें उन्होंने बताया कि यहां बड़ी संख्या में व्यापारी और धनाढ्य लोग निवास करते हैं।

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