गौरैया के लुप्त होने से जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव
गौरैया की घटती संख्या के पीछे कई मानवीय और पर्यावरणीय कारण हैं। आधुनिक जीवनशैली और तकनीकी विकास ने इसके प्राकृतिक वास को नष्ट कर दिया है। शहरों में बड़ी संख्या में बहुमंजिला इमारतों का निर्माण हुआ, जिससे गौरैया के घोंसले बनाने के लिए उपयुक्त स्थान कम होते गए। पहले मकानों की दीवारों में बनी दरारों और छप्परों के कोनों में यह आसानी से घोंसले बना लेती थी, लेकिन आधुनिक कंक्रीट के घरों में इसकी यह सुविधा समाप्त हो गई।
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