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आंचलिक कविताओं का सुन्दर पुष्प -गुच्छ

छत्तीसगढ़ की लोकभाषाओं — हल्बी, भतरी और छत्तीसगढ़ी — में साहित्य साधना करने वाले महर्षि लाला जगदलपुरी का रचना संसार बस्तर अंचल की मिट्टी की महक और जनजीवन की आत्मा से सराबोर है। उनकी कविताओं का नया संकलन “आंचलिक कविताएँ: समग्र” छत्तीसगढ़ की रंग-बिरंगी बोलियों का साहित्यिक उत्सव है। इस संकलन में उनकी कविताओं का हिन्दी अनुवाद भी प्रस्तुत है, जो हल्बी और भतरी भाषाओं की गहराई और संवेदना को व्यापक पाठक वर्ग तक पहुंचाता है। लाला जी की कविताएँ न केवल क्षेत्रीय संस्कृति को उजागर करती हैं, बल्कि बोली से भाषा की ओर बढ़ते साहित्यिक विकास की मिसाल भी पेश करती हैं।

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पुस्तक -चर्चा आँसू ल पी थे महतारी ; एकांत श्रीवास्तव का कविता -संग्रह ‘अँजोर

छत्तीसगढ़ी नई कविताओं के हिंदी अनुवाद सहित एकांत श्रीवास्तव का नया कविता संग्रह ‘अँजोर’ कविता की दुनिया में नई रौशनी लेकर आया है। इस संग्रह में 42 छत्तीसगढ़ी कविताओं के साथ उनके हिंदी अनुवाद भी दिए गए हैं। कविताओं में छत्तीसगढ़ के गाँवों और लोकजीवन की सोंधी महक महसूस की जा सकती है। संग्रह को कवि ने त्रिलोचन की कृति ‘अमोला’, छत्तीसगढ़ की मिट्टी कन्हार, और कोरोना काल में खोए प्रियजनों को समर्पित किया है। संग्रह में ‘पियास’ जैसी कविताएँ जीवन और समाज के गहरे मर्म को छूती हैं, जो अपनी माटी से जुड़ी भावुकता और संवेदनशीलता का परिचय देती हैं।

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