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दूसरों को दोष मत दो : स्वामी विवेकानन्द

‘एक मंदिर के सामने एक सन्यासी रहता था और उसी के पास वाले घर में एक वेश्या भी रहती थी । सन्यासी रोजाना उस वेश्या पर चिल्लाता, उसकी निन्दा करता। उधर वेश्या अपने दुष्कर्म का पश्चाताप करते हुए सदैव ईश्वर की प्रार्थना में लीन रहती।

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उदार बनो और सेवा करो – स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानन्द सच्चे कर्मयोगी थे। उन्होंने गरीबों के दुःख दूर करने के विशेष प्रयोजन के लिए जन्म लिया था और इसका उन्होंने अन्तिम श्वास तक अनवरत निर्वहन भी किया। वे कहते हैं- ” नर सेवा ही नारायण सेवा है।”

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राष्ट्रीय एवं वैश्विक चुनौतियों का समाधान : कृष्ण और गीता

हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए- ‘ धर्मो रक्षति रक्षितः। ‘ हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म भी हमारी रक्षा करेगा। धर्म के अन्तर्गत व्यक्ति का शरीर, परिवार, समाज, राष्ट्र, विश्व, चराचर जगत् और विश्व चेतना का समावेश है। हम शरीर धर्म की पालना करेंगे तो शरीर हमारी रक्षा करेगा। परिवार धर्म के पालन से परिवार हमारी रक्षा करेगा।

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वरिष्ठ साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया की नई कृति “इदं राष्ट्राय” का विमोचन

राजस्थान क्षेत्र शिक्षा समूह को बैठक के दौरान अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान के क्षेत्रीय संयुक्त मंत्री वरिष्ठ साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया की नई कृति “इदं राष्ट्राय” का विमोचन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय क्षेत्रीय प्रचारक श्रीयुत निम्बाराम जी के शुभ कर कमलों से हुआ।

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भागो मत, सामना करो स्वामी विवेकानंद

“यह सबके जीवन के लिए एक सबक है कि संकट का सामना करो, वीरता से सामना करो। बंदरो की तरह जीवन की कठिनाईयां भी पीछे हट जाएंगी, यदि हम उनसे दूर भागने की वजाय निडर होकर सामने खड़े हो जाएं । कायर कभी भी विजय हासिल नहीं कर सकता। हमें डर और कष्टों का सामना करना होगा, उनके स्वतः दूर चले जाने की आशा छोड़कर ।

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सक्रियता और संकल्प सफलता की कुंजी

अकर्मण्यता, निराशा, आलस्य और शिथिलता – ये सभी उद्भव, विकास और उन्नति के सबसे बड़े बाधक तत्व हैं। अनेक लोग

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