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देवगणों के जागने का पर्व मकर संक्रांति एवं गंगा सागर तीर्थ

राजा भगीरथ ने अपने पितरों का गंगाजल, अक्षत और तिल से श्राद्ध-तर्पण किया था जिससे उनके पितरों को प्रेतयोनि से मुक्ति मिली थी। तब से मकर संक्रांति स्नान, मकर संक्रांति श्राद्ध-तर्पण और दान आदि की परंपरा प्रचलित है।

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धार्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण : मकर संक्रांति

हालांकि लोहड़ी मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। जिसमें आग जलाकर उसकी परिक्रमा करते हुए पूजा की जाती है। साथ ही रेवड़ी और मूंगफली बांटे जाते हैं। केरल में मकर विलक्कू के दिन लोग सबरीमाला मंदिर जाकर मकर ज्योति के दर्शन करते हैं।

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