आचार्य ललित मुनि

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भाई दूज की अनकही कहानी : यम-यमुना से आज तक

भाई दूज का पर्व भाई-बहन के अटूट स्नेह, विश्वास और प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, और परिवार में प्रेम का उजाला फैलता है।

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नरकासुर वध और छोटी दीपावली: असुरता पर दिव्यता की विजय का पर्व

भारतीय संस्कृति में छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी केवल पौराणिक कथा नहीं, बल्कि आंतरिक प्रकाश और आत्मशुद्धि का संदेश है। जानिए कैसे श्रीकृष्ण और सत्यभामा द्वारा नरकासुर वध की कथा मानव जीवन में अंधकार से प्रकाश की यात्रा का प्रतीक बनती है।

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स्वास्थ्य और समृद्धि का संगम धनतेरस

धनतेरस का पर्व केवल सोना-चांदी की खरीदारी का नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, संतुलन और आयुर्वेद की परंपरा का उत्सव है। भगवान धन्वंतरि की आराधना के माध्यम से यह दिन हमें सिखाता है कि सच्चा धन शरीर और मन की समृद्धि में है।

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श्रद्धा, संयम और ईश्वर-भक्ति का पावन पर्व : रमा एकादशी

रमा एकादशी व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। यह विष्णु और लक्ष्मी की संयुक्त उपासना का पर्व है, जो श्रद्धा, संयम और आत्मशुद्धि का संदेश देता है। इस दिन व्रत, कथा, दान और भक्ति से पापों का नाश होता है तथा मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

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वैदिक काल से डिजिटल युग तक भारतीय डाक व्यवस्था की ऐतिहासिक यात्रा

विश्व डाक दिवस पर भारतीय प्राचीन डाक व्यवस्था का महत्व: मौर्य काल की कबूतर डाक से मुगल दाक चौकी तक का विकास। जानिए कैसे यह शासन, व्यापार और संस्कृति की रीढ़ बनी।

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futuredलोक-संस्कृति

स्वर्ग से कौन कौन से उतरे थे फूल जानिए

फूल केवल प्रकृति की सजावट नहीं हैं। वे मनुष्य के जीवन में आनंद, भक्ति और प्रेम का संचार करने वाले प्रतीक हैं। उनकी कोमलता और सुरभि हमारे इंद्रियों को तृप्त करने के साथ-साथ हृदय को भी दिव्यता से जोड़ देती है। भारतीय संस्कृति में फूलों का स्थान केवल सौंदर्य तक सीमित नहीं है

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