स्वामी विवेकानंद

futuredधर्म-अध्यात्म

रामकृष्ण मिशन: सेवा, शिक्षा और अध्यात्म का विश्वव्यापी संगम

रामकृष्ण मिशन, जिसकी स्थापना स्वामी विवेकानंद ने 1897 में की थी, एक धार्मिक, सामाजिक और गैर-राजनीतिक संगठन है जो विश्वभर में सेवा, शिक्षा और अध्यात्म के क्षेत्रों में कार्यरत है। यह मिशन मानवता की सेवा को ईश्वर-सेवा मानते हुए स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, आपदा राहत और आध्यात्मिक जागरूकता जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। मिशन का उद्देश्य “मानव में ईश्वर की सेवा” और सभी धर्मों में सामंजस्य स्थापित करना है।

Read More
futuredपॉजिटिव स्टोरीविश्व वार्ता

भारत के पुनः जगद्गुरु बनने के पथ प्रदर्शक स्वामी विवेकानंद

शिकागो (अमेरिका) में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में पहुँचने से पूर्व स्वामीजी को अनगिनत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। तत्पश्चात ११ सितंबर १८९३ के पावन दिवस पर उनके मुख से गुरु रामकृष्ण प्रेरित ऐसी ओजस्वी वाणी गूंजी कि आज भी दुनिया याद करती है।

Read More
futuredपॉजिटिव स्टोरी

विवेकानंद शिला स्मारक और माननीय एकनाथ रानाडे जी

माननीय एकनाथ रानाडे जी का व्यक्तित्व अविस्मरणीय है। स्वामी विवेकानंद जी के जीवन की प्रासंगिकता वर्तमान समय में भी बरकरार रखने में एकनाथ जी का बड़ा योगदान रहा है। साहित्य से लेकर स्मारक तक, स्मारक से संगठन तक की स्थापना करने में एकनाथ जी ने अपना संपूर्ण जीवन लगा दिया।

Read More
futuredपॉजिटिव स्टोरी

राष्ट्रसेवा से ही सार्थक जीवन : स्वामी विवेकानन्द

स्वामीजी कहते हैं- ‘देशभक्त बनो, जिस राष्ट्र ने अतीत में हमारे लिए इतने बड़े-बड़े काम किए हैं, उसे प्राणों से भी प्यारा समझो।…. भारत तभी जगेगा, जब विशाल हृदयवाले सैंकड़ों स्त्री-पुरूष भोग-विलास और सुख की सभी इच्छाओं को विसर्जित कर मन, वचन और शरीर से उन करोड़ों भारतीयों के हित के लिए सचेष्ट होंगे जो दरिद्रता तथा मूर्खता के अगाध सागर में निरन्तर डूबते जा रहे हैं।’

Read More
futuredहमारे नायक

पूर्ण एकाग्रता से लक्ष्य साधो : स्वामी विवेकानन्द

स्वामी विवेकानन्द ने बिना कुछ कहे उस युवक के हाथ से बन्दूक ली और एक के बाद एक लगातार बारह छिलके पर सटीक निशाना लगाया। सारे युवक आश्चर्यचकित हो सोचने लगे कि स्वामी निश्चित ही वे कोई बड़े निशानेबाज हैं। स्वामी जी उनकी मनःस्थिति भाँपकर बोले – ” मैंने अपने जीवन में कभी भी गोली नहीं चलाई है बन्धु । आज ये जो निशाना ठीक लगा है उसकी सफलता का रहस्य है- पूर्ण एकाग्रता । “

Read More