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ऐसी ब्रिटिश नागरिक जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति समर्पित रहीं

यदि कहीं कोई भारतीय बड़े पद पर है और अंग्रेज छोटे पद पर तब भारतीय को क्यों खड़े होना चाहिए और क्यों सामान्य अंग्रेज को पानी पिलाना चाहिए। आरंभ में उन्होंने स्थानीय अधिकारियों से चर्चा करके मानवीय व्यवहार समझाना चाहा, पर बात नहीं बनी और वे भी नौकरी छोड़कर समाज के जागरण में जुट गयीं।

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लाहौर षडयंत्र और बलवंत सिंह का अमर बलिदान

जालंधर और उसके आसपास आर्यसमाज भी अपने प्रवचनों से स्वत्व एवं सांस्कृतिक भाव जगा रही थी। ऐसे वातावरण में बलवंत सिंह का बचपन बीता था। इसलिए अंग्रेज द्वारा भारतीयों का दमन करने में सहभागी होना उन्हें स्वीकार नहीं था। उनके एक भाई रंगा सिंह क्राँतिकारी गतिविधियों से जुड़ गये थे। अब यह भाई की प्रेरणा हो उनकी या उनकी अपनी अंतरात्मा की आवाज।

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अंग्रेजों से भारत की मुक्ति के लिए सैन्य अभियान की शुरुआत 4 जुलाई 1942 को

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने अंग्रेजों से भारत की मुक्ति के लिये सैन्य संघर्ष आरंभ किया

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आजादी के बाद भोपाल भी था कश्मीर बनने की राह पर : भोपाल विलय दिवस

संघर्ष, बलिदान और आँदोलन के एक लंबे सिलसिले के बाद 1 जून 1949 भोपाल रियासत भारतीय गणतंत्र का अंग बनी।

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दोहरा आजीवन कारावास, सर्वाधिक प्रताड़ना झेलने वाले वीर सावरकर

28 मई 1883 : स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी का जन्म दिवस विशेष आलेख भारतीय स्वाभिमान और स्वातंत्र्य वोध जागरण केलिए यूँ

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मृत क्रांतिकारी के सिर को काटकर अदालत में प्रस्तुत किया : अंग्रेजों की क्रूरता की पराकाष्ठा

सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी का जन्म 10 दिसंबर, 1888 को हुआ था। जब वे दो वर्ष के थे तभी उनके

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