साहित्यिक योगदान

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प्रसिद्ध हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे नहीं रहे, छत्तीसगढ़ सहित देश भर में शोक की लहर

डॉ. दुबे के निधन से साहित्य जगत में जो रिक्तता आई है, उसकी भरपाई संभव नहीं। परंतु उनकी कविताएं, व्यंग्य, मंचीय प्रस्तुति और छत्तीसगढ़ी के लिए उनका समर्पण उन्हें चिरस्मरणीय बना देता है। वे भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी कलम की शक्ति और शब्दों की गूंज हमेशा जीवित रहेगी।

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प्राचीन छत्तीसगढ़ के रचयिता प्यारेलाल गुप्त की साहित्य साधना

रविशकर वि”वविद्यालय रायपुर से सन् 1973 में प्रकाशित इस ग्रंथ में प्रागैतिहासिक काल से लेकर आधुनिक युग के पूर्व तक का श्रृंखलाबद्ध इतिहास है। इस ग्रंथ में न केवल प्राचीन छत्तीसगढ़ का इतिहास बल्कि सांस्कृतिक परम्पराओं, लोक कथाओं, पुरातत्व और साहित्य का उल्लेख है। इस ग्रंथ को ‘छत्तीसगढ़ का इनसाइक्लोपीडिया‘ माना जा सकता है। उन्होंने छत्तीसगढ़ की पदयात्रा करके इस ग्रंथ के लिए सामग्री जुटायी थी।

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