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वनवासी संघर्ष के नायक : क्रांतिकारी तिलका मांझी

ऐसे ही एक बड़े संघर्ष का विवरण संथाल परगने में मिलता है। जिसके नायक वनवासी तिलका मांझी थे। जिन्हें अंग्रेजों ने चार घोड़ो से बाँध कर जमीन पर घसीटा था। फिर भी वीर विद्रोही तिलका ने समर्पण नहीं किया।

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गीतों की शब्द शक्ति से राष्ट्रभक्ति और स्वाभिमान जगाने वाले कवि

सैनिकों के बलिदान पर उनका गीत “ऐ मेरे वतन के लोगो, जरा आँख में भर लो पानी” की रचना की। जिस भाव से प्रदीप ने इस गीत की रचना की उसी भावना से लता जी ने गाया। इस गीत के बोल आज भी हृदय को छू जाते हैं। यह गीत देश भक्ति के गीतों में अग्रणी माना गया ।

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अकबर के दरबार में धोखे फ़रेब का खेल : बैरम खान की हत्या

सल्तनतकाल और अंग्रेजी काल का इतिहास धोखे और फरेब से भरा है। दिखावटी दोस्ती और मीठी बातों में फँसाकर ही खून की होली खेलने के असंख्य घटनाएँ घटीं हैं। इसी शैली में मुगल सेनापति बैरम खान की हत्या की गई। हत्या के बाद बैरम खान पत्नि सलीमा सुल्तान बादशाह अकबर के हरम में पहुँचा दिया गया।

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सामाजिक समरसता और भारतीय सांस्कृतिक एकता का महोत्सव महाकुंभ

भारत के इतिहास में जहाँ तक दृष्टि जाती है कुंभ के आयोजन का संदर्भ मिलता है। मौर्यकाल में भी और शुंग काल में भी। गुप्तकाल में तो कुंभ का बहुत विस्तार से वर्णन मिलता है। गुप्तकाल के इस विवरण में ग्रहों की स्थिति के अनुसार कुंभ के आयोजन का उल्लेख है।

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भारतीय संविधान: लोकतंत्र का आधार और विशेषताएँ

26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के साथ गणतंत्र दिवस उत्सव मनाने की परंपरा भी आरंभ हुई। 26 जनवरी 1950 को पहले गणतंत्र दिवस पर भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण किया था। ध्वजारोहण के साथ राष्ट्रगान “जन गण मन…” का गायन हुआ और डा राजेन्द्र प्रसाद जी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुये भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं अन्य वीर सपूतों का स्मरण किया।

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स्वाभिमान और स्वाधीनता की मिसाल महाराणा प्रताप

राणा जी अकबर से पराजित होते या अभाव होता तो यह विकास और समृद्धि प्रयास संभव ही नहीं थे। अंततः 19 जनवरी 1597 में स्वाभिमान के साथ उन्होंने देह त्यागी। कोटिशः नमन् परम् वीर यौद्धा राणा प्रताप जी को।

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