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भारतीय समाज में एकता और समरसता के प्रतीक महर्षि वाल्मीकि

वाल्मीकि जी सही मायने में राष्ट्र जागरण और सामाजिक एकत्व के अभियान में सक्रिय रहे। उन्होंने रामायण के अतिरिक्त और भी काव्य रचनाएं तैयार की। भारतीय रचना शीलता जगत में गुरु वंदना के अतिरिक्त भगवान गणेशजी और माता सरस्वती के बाद बाल्मीकि जी की ही वंदना की जाती है। इसे भारतीय वाड्मय के किसी भी ग्रंथ रचना से समझा जा सकता है।

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रामजी के ध्येयनिष्ट संघर्ष और संकल्प जैसी है संघ की शताब्दी यात्रा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पूरी शताब्दी यात्रा भी संकल्पना से युक्त है। संघ का प्रत्येक  स्वयंसेवक और कार्यकर्ता मानों राजकाज का सैनिक है और सनातन संस्कृति और मानवीय मूल्यों की संस्थापना अभियान केलिये समर्पित है।

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कुटुम्ब परंपरा का विघटन समाज के पतन का बड़ा कारण

एक ओर मनुष्य चाँद को पार करके सूर्य पर पहुँचने का प्रयास कर रहा है, अपनी श्रेष्ठता का डंका पीट रहा है। तो दूसरी ओर छोटी छोटी मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार करके हत्याएँ की जा रहीं हैं। भारत भी पीछे नहीं। एक ओर भारत अपने परम वैभव पर पहुँचने की नई अंगड़ाई ले रहा है।

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स्थापना के शताब्दी वर्ष में प्रवेश करता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ “हिंदू” शब्द की व्याख्या सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के संदर्भ में करता है जो किसी भी तरह से (पश्चिमी) धार्मिक अवधारणा के समान नहीं है। इसकी विचारधारा और मिशन का जीवंत सम्बंध स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद, बाल गंगाधर तिलक और बी सी पाल जैसे हिंदू विचारकों के दर्शन से हैं।

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पितरों के माध्यम से प्रकृति की अनंत ऊर्जा से जुड़ने और आदर्श समाज निर्माण का संदेश

पितृमोक्ष अमावस्या शरद ऋतु के समापन और हेमन्त के आरंभ की तिथि है। ऋतुओं के इस मिलन से मौसम परिवर्तन

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राम राज्य स्थापित करना चाहते थे गाँधीजी : 2 अक्टुबर विशेष आलेख

सत्य और अहिंसा के आधार पर राष्ट्र रचना केलिये गाँधीजी ने राम राज्य स्थापित करने की कल्पना की थी  वे

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