जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया : छत्तीसगढ़ी चेतना के स्वर
वास्तव में लक्ष्मण मस्तुरिया की ये हिन्दी कविताएँ मानव हृदय की कोमल भावनाओं के साथ गाँव, शहर, देश और समाज की जीवन व्यापी हलचल और आज के मनुष्य के दुःख-दर्द का एक जीवंत दस्तावेज़ हैं।
Read Moreवास्तव में लक्ष्मण मस्तुरिया की ये हिन्दी कविताएँ मानव हृदय की कोमल भावनाओं के साथ गाँव, शहर, देश और समाज की जीवन व्यापी हलचल और आज के मनुष्य के दुःख-दर्द का एक जीवंत दस्तावेज़ हैं।
Read Moreजीवन भर माटी-महतारी की महिमा का बखान करने वाला माटी का लाल यह प्रतिभावान कवि छत्तीसगढ़ की माटी में समा गया।
Read Moreस्वर्गीय श्री लक्ष्मण मस्तुरिया वास्तव में छत्तीसगढ़ के जन-जन के कवि और छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत के बेताज बादशाह थे, जो लगभग पांच दशकों तक अपने सुमधुर गीतों से और अपनी मधुर आवाज से छत्तीसगढ़ के गांव, गरीब और किसानों की भावनाओं को स्वर देते रहे और जनता के दिलों पर राज करते रहे।
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