भक्ति आंदोलन

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भक्ति आंदोलनऔर सामाजिक समरसता के प्रकाशपुंज गुरु नानक देव जी

गुरु नानक देव जी ने भक्ति आंदोलन को आध्यात्मिकता से आगे बढ़ाकर सामाजिक समरसता, नारी सम्मान और भाईचारे का प्रतीक बनाया। उनकी साखियों में मानवता और एकेश्वरवाद का जीवंत संदेश छिपा है, जो आज भी प्रासंगिक है।

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futuredहमारे नायक

भारतीय संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम के लोकनायक माधवहरि अणे

माधव हरि का जीवन, उनके आध्यात्मिक विचार, भक्ति परंपरा में योगदान और समाज पर पड़े प्रभाव को जानिए। यह आलेख उनकी शिक्षाओं और सांस्कृतिक महत्त्व को विस्तार से प्रस्तुत करता है।

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futuredछत्तीसगढताजा खबरें

सद्गुरु कबीर प्राकट्य महोत्सव: गोकुल नगर में श्रद्धा, भक्ति और सामाजिक समरसता का अनुपम संगम

दुर्ग जिले के गोकुल नगर, पुलगांव में 15 जून को सद्गुरु कबीर प्राकट्य दिवस समारोह भक्ति, श्रद्धा और सामाजिक समरसता के साथ मनाया गया। संत प्रवचनों में कबीर साहेब की शिक्षाओं — जातिवाद, छुआछूत और हिंसा के विरोध — पर बल दिया गया। सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में आयोजन भंडारे और संत भेंट पूजा के साथ संपन्न हुआ।

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futuredधर्म-अध्यात्म

सामाजिक समरसता और आध्यात्मिकता के प्रतीक संत सेन महाराज

भारत संत परम्परा की भूमि है, भक्ति काल में अनेक संत हुए जिन्होंने समाज का मार्गदर्शन किया। भारतीय संत परंपरा

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अलख निरंजन शब्द की उत्पत्ति एवं सामाजिक आध्यात्मिक प्रभाव

अलख, अ+लख, जो दिखाई न दे, जो दृष्टिगोचर न हो। माने निराकार और निराकार ईश्वर को ही कहा गया है। निरंजन शब्द की उत्पत्ति अंजन शब्द में निर् प्रत्यय लगाने के बाद होती है। निर का अर्थ है बिना या रहित तथा अंजन का अर्थ है काजल या अंधकार। निरंजन का शाब्दिक अर्थ होता है “जो अंजन (काजल या अंधकार) से रहित हो। किन्तु इसका तत्वार्थ बहुत गहरा है।

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