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वनवासी सशस्त्र संघर्ष के नायक बिरसा मुंडा

एक विश्वासघाती की सूचना के आधार पर 3 फरवरी 1900 को चक्रधरपुर जमकोपाई जंगल से वे गिरफ़्तार कर लिये गये। जेल में प्रताड़ना का दौर चला और उन्होने बिरसा 9 जून 1900 ई को इस संसार से विदा ली। इस प्रकार एक महानायक का बलिदान हो गया।

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