तुलसी के बिरवा जगाय

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छत्तीसगढ़ी लोक साहित्य संरक्षक पंडित अमृतलाल दुबे

छत्तीसगढ़ के लोक साहित्य को संरक्षित करने वाले पंडित अमृतलाल दुबे ने ‘तुलसी के बिरवा जगाय’ जैसे अमूल्य संग्रह के माध्यम से आदिवासी लोकगीतों की सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण बनाए रखा। जानिए उनके प्रेरक जीवन और साहित्यिक योगदान की कहानी।

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छत्तीसगढ़ के लोक साहित्य को समेटने वाले पंडित अमृतलाल दुबे

मध्य प्रदेश आदिम जाति कल्याण विभाग में क्षेत्र संयोजक के पद पर नियुक्त होकर कार्य आरंभ करने वाले दुबे जी जंगलों और पहाड़ों की तराई में रहने वाले आदिम जातियों के वाचिक लोक साहित्य को केवल पढ़ा ही नहीं बल्कि उसका दुर्लभ संग्रह भी किया

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