ऋषि-कृषि संस्कृति का गढ़ छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ का हरेली पर्व न केवल कृषि उपकरणों की पूजा का दिन है, बल्कि यह ग्रामीण जीवन, लोकविश्वास, परंपरा, गेड़ी खेल और तांत्रिक साधनाओं के साथ एक जीवंत सांस्कृतिक उत्सव भी है।
Read Moreछत्तीसगढ़ का हरेली पर्व न केवल कृषि उपकरणों की पूजा का दिन है, बल्कि यह ग्रामीण जीवन, लोकविश्वास, परंपरा, गेड़ी खेल और तांत्रिक साधनाओं के साथ एक जीवंत सांस्कृतिक उत्सव भी है।
Read Moreपद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे को रायपुर में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सहित गणमान्यजनों ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की; हास्य-व्यंग्य में उनके योगदान को याद किया गया।
Read Moreदुर्ग जिले के गोकुल नगर, पुलगांव में 15 जून को सद्गुरु कबीर प्राकट्य दिवस समारोह भक्ति, श्रद्धा और सामाजिक समरसता के साथ मनाया गया। संत प्रवचनों में कबीर साहेब की शिक्षाओं — जातिवाद, छुआछूत और हिंसा के विरोध — पर बल दिया गया। सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में आयोजन भंडारे और संत भेंट पूजा के साथ संपन्न हुआ।
Read Moreछत्तीसगढ़ की लोकभाषाओं — हल्बी, भतरी और छत्तीसगढ़ी — में साहित्य साधना करने वाले महर्षि लाला जगदलपुरी का रचना संसार बस्तर अंचल की मिट्टी की महक और जनजीवन की आत्मा से सराबोर है। उनकी कविताओं का नया संकलन “आंचलिक कविताएँ: समग्र” छत्तीसगढ़ की रंग-बिरंगी बोलियों का साहित्यिक उत्सव है। इस संकलन में उनकी कविताओं का हिन्दी अनुवाद भी प्रस्तुत है, जो हल्बी और भतरी भाषाओं की गहराई और संवेदना को व्यापक पाठक वर्ग तक पहुंचाता है। लाला जी की कविताएँ न केवल क्षेत्रीय संस्कृति को उजागर करती हैं, बल्कि बोली से भाषा की ओर बढ़ते साहित्यिक विकास की मिसाल भी पेश करती हैं।
Read Moreछत्तीसगढ़ में रंग पंचमी का त्योहार पारंपरिक उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार होली के पांच दिन बाद आता है और इसमें रंगों की धूम देखने को मिलती है। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इसे एक सांस्कृतिक पर्व के रूप में मनाया जाता है, तथा इस दिन भी फ़ाग गाने एवं रंग खेलने की परम्परा दिखाई देती है।
Read Moreरायपुर .“दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव”विषय पर हुई वेबिनार में वक्ताओं ने कहा कि रामलीला केवल आस्था तक सीमित नहीं हैं। वास्तव में यह तो संस्कार का अहम् स्रोत है।
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