एक राष्ट्रभक्त आर्य संन्यासी स्वामी श्रद्धानंद का बलिदान
आर्यसमाज के प्रखर वेदज्ञ वक्ता, उच्चकोटि के अधिवक्ता, ओजस्वी वक्ता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और क्राँतिकारियों की एक पूरी पीढ़ी तैयार
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Read moreआर्य समाज से संबंधित होने के कारण वे अपनी बात को तथ्य और तर्क के साथ रखना उनके स्वभाव में आ गया था। घर में आध्यात्मिक और धार्मिक पुस्तकों का मानों भंडार था। इनके अध्ययन के साथ उन्होंने वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की और रोहतक तथा हिसार आदि नगरों में वकालत करने लगे थे।
Read moreस्वामी दयानन्द सरस्वती को बहुत विरोध का सामना करना पड़ा। यह विरोध दोनों तरफ से था एक ओर धर्मान्तरित हिन्दुओः की घर वापसी केलिये और दूसरी ओर आडंबर मुक्ति अभियान के लिये भी। और इसी कुचक्र के अंतर्गत उन्होंने देह त्यागी। एक वेश्या के कुचक्र से हुआ। कहते हैं षड्यंत्र कारियों ने स्वामी जी के रसोइये को लालच देकर अपनी ओर मिला लिया और दूध में विष मिलाकर स्वामी जी को पिला दिया।
Read moreहीं उनका संपर्क वे आर्य समाज से हुआ।वे आर्य समाज की वेदांत गोष्ठियों में भाग लेने लगे। उनकी व्याख्या और तर्क से समूचा वैदिक विद्वान समाज प्रभावित हुआ।उन्होंने आर्य समाज केलिये “सत्यार्थ प्रकाश”, “ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका” व “योग तत्वादर्श” का मराठी में अनुवाद भी किया।
Read moreक्राँतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11जून 1897 को शाहजहांपुर के खिरनी बाग में हुआ था। उनके पिता का नाम
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