आजादी का आंदोलन

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जेल यात्रा और संविधान सभा तक का सफर : पृथ्वी सिंह आजाद

ऐसे चिंतक विचारक और क्राँतिकारी पृथ्वी सिंह आजाद का जन्म 15 सितंबर 1892 को पंजाब प्रांत के मोहाली क्षेत्र अंतर्गत ग्राम लालरू में हुआ था। इन दिनों इस क्षेत्र को साहिबजादा अजीतसिंह नगर के नाम से जाना जाता है।

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वीरांगना रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती मनाई गई

श्री टेकाम ने इस दौरान जनजातीय समाज को भारत के संविधान को मिली सहूलियतों और संरक्षण के साथ विकास के लिए किए गए प्रावधानों को भी लोंगो को बताया। इस दौरान वीरांगना रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती भी मनाई गई और रानी दुर्गावती के अपने गोंडवाना प्रदेश की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए बलिदान हो जाने के वृत्तंात पर भी प्रकाश डाला गया है।

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लाहौर षडयंत्र और बलवंत सिंह का अमर बलिदान

जालंधर और उसके आसपास आर्यसमाज भी अपने प्रवचनों से स्वत्व एवं सांस्कृतिक भाव जगा रही थी। ऐसे वातावरण में बलवंत सिंह का बचपन बीता था। इसलिए अंग्रेज द्वारा भारतीयों का दमन करने में सहभागी होना उन्हें स्वीकार नहीं था। उनके एक भाई रंगा सिंह क्राँतिकारी गतिविधियों से जुड़ गये थे। अब यह भाई की प्रेरणा हो उनकी या उनकी अपनी अंतरात्मा की आवाज।

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गैंदसिंह थे छत्तीसगढ़ के प्रथम बलिदानी : स्वतंत्रता संग्राम

उत्तर बस्तर (कांकेर ) जिले में चारामा के शासकीय महाविद्यालय का नामकरण शहीद गैंदसिंह के सम्मान में किया गया है,वहीं नवा रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ सरकार का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम और महासमुंद जिले का कोडार सिंचाई जलाशय भी शहीद वीर नारायण सिंह के नाम पर है।

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कहानी स्वतंत्रता से पूर्व 15 दिनों की

4 अगस्त आते – आते भगत सिंह के पैतृक गांव, पंजाब स्थित जरनवाला पर मुस्लिम नेशनल गार्ड के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया, जो कि वास्तव में एक हिंदू – सिख बहुल शहर था। इसी समय भारत और पाकिस्तान के मासूम और निर्दोष लोग अपनी जान बचाकर,  सीमा पार कर सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे थे। अनेकों लोगों को अपना घर और परिवार गंवाकर शरणार्थी शिविर में रहना पड़ रहा था।

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futuredविश्व वार्ता

अंग्रेजों से भारत की मुक्ति के लिए सैन्य अभियान की शुरुआत 4 जुलाई 1942 को

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने अंग्रेजों से भारत की मुक्ति के लिये सैन्य संघर्ष आरंभ किया

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