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मानव सभ्यता की मार्गदर्शक और ज्ञान का प्राचीन स्रोत पुस्तकें

ग्रंथ मानव सभ्यता की बौद्धिक और सांस्कृतिक यात्रा की अमूल्य धरोहर हैं। जब मनुष्य ने अपनी भावनाओं, विचारों और ज्ञान को संरक्षित करने की आवश्यकता महसूस की, तब श्रुति से स्मृति के रुप में लेखन कला का विकास हुआ।

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पृथ्वी मेरी माता है और मैं उसका पुत्र हूँ : पृथ्वी दिवस विशेष

हमारी सनातन संस्कृति में पृथ्वी और प्रकृति को केवल भौतिक संसाधन नहीं, बल्कि जीवंत, पूज्य और मातृस्वरूप माना गया है। वेदों, उपनिषदों और पुराणों में प्रकृति के प्रति गहन श्रद्धा, संरक्षण और सह-अस्तित्व की भावना स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।

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रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे : रेल दिवस विशेष

भारत रुपी शरीर की धमनियाँ मैं रेलगाड़ी को ही मानता हूँ, जिस तरह शरीर में रक्त प्रवाह बनाए रखने में धमनियों का योगदान होता है उसी तरह भारत को चलाने के लिए रेलगाड़ियों का मुख्य भूमिका है। वर्तमान काल में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसने रेलगाड़ी देखी न होगी या उसकी सवारी न की होगी। भारत में रेलगाड़ी के संचालन का अपना एक इतिहास रहा है।

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युवाओं के लिए बल, बुद्धि और भक्ति के प्रेरणा स्रोत : हनुमान जी

हनुमान जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह युवाओं के लिए आत्म-जागरण का अवसर है। इस दिन हनुमान जी के गुणों को याद करके और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेकर युवा अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं।

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आज की दुनिया के लिए शांति और संतुलन का रास्ता : महावीर स्वामी का दर्शन

महावीर स्वामी, जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, एक महान आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक थे, जिनकी शिक्षाएं आज भी उतनी ही सार्थक और प्रासंगिक हैं, जितनी उस समय थीं, जब उन्होंने इन्हें समाज के समक्ष रखा।

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ननिहाल छत्तीसगढ़ में राम तत्व

भारत के मानचित्र में हृदय स्थल पर छत्तीसगढ़ प्रदेश स्थित है। लोक मान्यता है कि यहाँ भगवान राम ने वनवास काल के चौदह वर्षों में से दस वर्ष बिताए। यह एक ऐसा स्थान है कि जहाँ का वातावरण आपको राममय दिखाई देता है। सारा अंचल राम नाम से ओतप्रोत है। भगवान राम भी यहाँ आए और यहीं के होकर रह गए। ऐसे रचे बसे कि यहाँ की संस्कृति के रोम-रोम में समा गए। कण कण में राम तत्व समाहित हो गया। 

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