असहयोग आंदोलन

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हिन्दू महासभा के प्रेरणास्रोत डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे का जीवन और योगदान

1898 में मेडिकल कॉलेज मुम्बई से मेडिकल डिग्री ली और मुम्बई में ही नगर निगम के चिकित्सा अधिकारी नियुक्त हो गये। अपनी चिकित्सा सेवा के साथ उन्हे सैन्य कार्यों में रुचि रही इसका उन्होंने प्रयास किया और सेना की चिकित्सा शाखा में कमीशन अधिकारी नियुक्त हो गये।

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स्वदेशी आंदोलन के आर्य नायक पंजाब केसरी लाला लाजपतराय

आर्य समाज से संबंधित होने के कारण वे अपनी बात को तथ्य और तर्क के साथ रखना उनके स्वभाव में आ गया था। घर में आध्यात्मिक और धार्मिक पुस्तकों का मानों भंडार था। इनके अध्ययन के साथ उन्होंने वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की और रोहतक तथा हिसार आदि नगरों में वकालत करने लगे थे।

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जेल से जनमानस तक रामवृक्ष बेनीपुरी की साहित्यिक यात्रा

रामवृक्ष जी महान् विचारक, चिन्तक, क्राँतिकारी,  साहित्यकार और पत्रकार थे। उनकी हर रचना में देश प्रेम और समाज को विसंगतियों से मुक्ति का संदेश होता था। उनके दो प्रमुख उपन्यास “पतितों के देश में” और “आम्रपाली” बहुत मशहूर हुये तो “माटी की मूरतें” कहानी संग्रह तथा चिता के फूल, लाल तारा, कैदी की पत्नी, गेहूँ और गुलाब, जंजीरें और दीवारें भी उल्लेखनीय रहे।

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