अनुच्छेद 142

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मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की टिप्पणी से न्यायपालिका और कार्यपालिका में सम्मान को लेकर बहस तेज

मुंबई दौरे के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने महाराष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों की अनुपस्थिति पर नाराज़गी जताई। उन्होंने कहा कि अगर न्यायपालिका से ऐसी चूक होती, तो अनुच्छेद 142 पर बहस छिड़ जाती। यह टिप्पणी न्यायिक सक्रियता और कार्यपालिका के बीच बढ़ती बहस के बीच आई है।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी राय, अनुच्छेद 143(1) के तहत भेजा अभूतपूर्व संदर्भ

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 143(1) के तहत सुप्रीम कोर्ट से विधेयकों पर समयसीमा के संदर्भ में राय मांगी है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘माना गया अनुमोदन’ की अवधारणा को लेकर उठाया गया है, जिसे राष्ट्रपति ने संविधान के विपरीत बताया है।

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का सुप्रीम कोर्ट पर फिर हमला: “सर्वोच्च सत्ता संसद, संविधान के मालिक जनप्रतिनिधि”

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि संसद सर्वोच्च संस्था है और संविधान का अंतिम निर्णय चुने हुए जनप्रतिनिधियों का अधिकार है। उन्होंने अनुच्छेद 142 के प्रयोग को “परमाणु मिसाइल” बताते हुए न्यायपालिका पर लोकतांत्रिक संस्थाओं में हस्तक्षेप का आरोप लगाया। विपक्ष और न्यायिक हलकों में इस बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है।

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अनुच्छेद 142 बना लोकतंत्र के लिए खतरा : उपराष्ट्रपति धनखड़

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अनुच्छेद 142 को “न्यायपालिका के हाथों में न्यूक्लियर मिसाइल” बताया और पूछा कि क्या अदालतें अब राष्ट्रपति को भी निर्देश देंगी? साथ ही उन्होंने न्यायाधीश के घर नकदी बरामदगी मामले में देरी पर भी चिंता जताई और कहा कि “अब समय है सच को सामने लाने का।”

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