प्रकृति संरक्षण के वैदिक सूत्र और ओजोन परत रक्षण
वैदिक ऋषियों के श्लोकों में प्रकृति संरक्षण और ओजोन परत जैसी सुरक्षा अवधारणा का उल्लेख मिलता है। जानें कैसे प्राचीन वैदिक सूत्र आधुनिक पर्यावरण संतुलन से जुड़े हैं।
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Read Moreग्रंथ मानव सभ्यता की बौद्धिक और सांस्कृतिक यात्रा की अमूल्य धरोहर हैं। जब मनुष्य ने अपनी भावनाओं, विचारों और ज्ञान को संरक्षित करने की आवश्यकता महसूस की, तब श्रुति से स्मृति के रुप में लेखन कला का विकास हुआ।
Read Moreहमारी सनातन संस्कृति में पृथ्वी और प्रकृति को केवल भौतिक संसाधन नहीं, बल्कि जीवंत, पूज्य और मातृस्वरूप माना गया है। वेदों, उपनिषदों और पुराणों में प्रकृति के प्रति गहन श्रद्धा, संरक्षण और सह-अस्तित्व की भावना स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।
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