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कूटरचित है परशुराम जी के क्रोधी होने और क्षत्रिय संघर्ष की बातें

भगवान् परशुरामजी नारायण का अवतार हैं, ऋषि हैं, गुरू हैं । उनका गुस्सा रोष है, क्रोध नहीं । उनके बारे में संस्कृत में रोष शब्द ही आया है जिसका हिन्दी अनुवाद क्रोध के रूप में करके भ्रान्तियाँ फैलाईं गई।

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प्रथम किसानी तिहार अक्ति पूजा के बाद खेती बाड़ी का काम शुरू

माना जाता है कि गांव में हर काम से पहले साहड़ा देव की पूजा की जाती है। आवाहन पूजन के दौरान गांव के युवा खेतों में नागर का प्रतिरुप चलाते हुए, सामूहिक रूप से सहाड़ा देवता की पूजा कर अच्छे फसल की कामना की।

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वैदिक आर्य संस्कृति की स्थापना का आधार भगवान् परशुराम

कोई क्षेत्र या कोई देश ऐसा नहीं जहाँ भगवान् परशुरामजी की स्मृति या चिन्ह नहीं मिलते हों। उन्होंने शाँति और मानवता की स्थापना के लिये पूरी पृथ्वी की सतत यात्राएँ की। विश्व में वैदिक आर्य संस्कृति की स्थापना का आधार भगवान् परशुरामजी ही हैं।

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अपनी माटी से जोड़ते हैं त्यौहार : अक्षय तृतीया

अक्ति तिहार छत्तीसगढ़ का प्रमुख कृषक त्यौहार है। अंचल में अक्ति तिहार से खेती-किसानी का प्रारंभ हो जाता है। अक्ति माने अक्षय तृतीया, यह बैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला त्यौहार है। वैसे तो यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है। इसके मनाने के पीछे कई प्राचीन मान्यताएं हैं।

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