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आज भारत के साहित्यिक-सांस्कृतिक आकाश के पाँच जगमगाते सितारों का जन्म दिन

आज एक सितम्बर को भारतीय साहित्य ,कला और संस्कृति के क्षेत्र की पाँच महान विभूतियों का जन्म दिन है। ये सभी हमारे देश के साहित्यिक और सांस्कृतिक आकाश के जगमगाते सितारे थे। इस भौतिक संसार से जाने के बाद भी उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की चमक हमारी स्मृतियों में आज भी बरकरार है।

हिन्दी और छत्तीसगढ़ी रंगमंच के प्रसिद्ध कलाकार , नाट्य निदेशक पद्मश्री और पद्म विभूषण अलंकरणों से सम्मानित स्वर्गीय हबीब तनवीर , दूरदर्शन के लोकप्रिय धारावाहिक ‘ महाभारत’ के पटकथा लेखक और उपन्यासकार स्वर्गीय राही मासूम रजा , हिन्दी ग़ज़लों के बेताज बादशाह दुष्यंत कुमार , राजस्थानी लोक कथाकार ,पद्मश्री सम्मानित स्वर्गीय विजयदान देथा और बेल्जियम में जन्म लेकर साहित्य साधना के लिए भारत को अपनी तपोभूमि बनाने और आजीवन हिन्दी भाषा और साहित्य की सेवा करने वाले , पदम् विभूषण फादर कामिल बुल्के को विनम्र श्रद्धांजलि ।

हबीब तनवीर
हबीब तनवीर का जन्म एक सितम्बर 1923 को छत्तीसगढ़ के रायपुर में और निधन 8 जून 2009 को भोपाल (मध्यप्रदेश) में हुआ । उनके लोकप्रिय नाटकों में चरनदास चोर ‘, मिट्टी की गाड़ी ‘ आगरा बाज़ार ‘ और ‘बहादुर कलारिन’ भी शामिल है।

छत्तीसगढ़ के अनेक मंजे हुए लोक कलाकारों के साथ उन्होंने इन नाटकों का मंचन किया। हबीब साहब द्वारा निर्देशित नाटकों को देश – विदेश में अपार लोकप्रियता मिली। हबीब साहब को वर्ष 1969 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, वर्ष 1983 में पद्मश्री और वर्ष 2002 में पद्म भूषण अलंकरण से सम्मानित किया गया । वह 1972 से 1978 तक राज्य सभा के सदस्य रहे । उन्होंने रिचर्ड ऐटन बरो की फ़िल्म ‘ गांधी ‘ में भी अभिनय किया था ।

राही मासूम रजा
राही मासूम रजा का जन्म एक सितम्बर 1925 को उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले के ग्राम गंगौली में और निधन 15 मार्च 1992 को मुम्बई में हुआ । उन्होंने लगभग 300 फिल्मों की पटकथाएँ लिखी । उन्हें हिन्दी फीचर फ़िल्म ‘ मैं तुलसी तेरे आँगन की ‘ पर सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए 1979 में फ़िल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया । उनके लोकप्रिय उपन्यासों में ‘आधा गाँव’, ‘ओस की बूँद’, ‘टोपी शुक्ला’, ‘दिल एक सादा कागज’ भी शामिल हैं। दूरदर्शन से 1980 के दशक में प्रसारित बेहद लोकप्रिय धारावाहिक ‘महाभारत’ के पटकथा और संवाद लेखक के रूप में उन्हें विशेष रूप से याद किया जाता है।

दुष्यंत कुमार
प्रसिद्ध शायर दुष्यन्त कुमार का जन्म एक सितम्बर 1933 को उत्तरप्रदेश के ग्राम राजपुर नवादा ( जिला ; बिजनौर ) में और निधन 30 दिसम्बर 1975 को भोपाल में हुआ । उनके प्रकाशित ग़ज़ल संग्रहों में ‘एक कण्ठ विषपायी’ , ‘सूर्य का स्वागत’ और ‘जलते हुए वन का बसन्त’ साहित्य जगत में काफ़ी चर्चित हैं ।उन्हें हिन्दी ग़ज़लों में नये प्रतीकों के साथ नये प्रयोगों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है ।

विजयदान देथा
विजयदान देथा राजस्थान के मशहूर लोक कथा लेखक और उपन्यासकार । उनका जन्म एक सितम्बर 1925 को जोधपुर जिले के ग्राम बोरुंदा में हुआ । अपने जन्म ग्राम में ही 10 नवम्बर 2013 को उनका निधन हो गया । उन्होंने राजस्थानी भाषा में 800 लघु कथाएँ लिखी । वर्ष 1972-73 में उन्हें राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला । वर्ष 2007 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री अलंकरण से नवाज़ा ।

फादर कामिल बुल्के
फादर कामिल बुल्के एक ऐसी शख्सियत थे , जिनका जन्म भारत की धरती से हजारों किलोमीटर दूर बेल्जियम के एक गाँव में एक सितम्बर 1909 में और निधन भारत की राजधानी दिल्ली में 17 अगस्त 1982 को हुआ । भारतीय धर्म ,दर्शन और आध्यात्म से प्रभावित होकर वह 1935 में यहाँ आ गए और जीवन के अंतिम क्षण तक भारतीयता के रंग में रचे – बसे रहे। उन्होंने हिन्दी भाषा और साहित्य का और तुलसीदास जी के रामचरित मानस जैसे महाकाव्यों का गहन अध्ययन किया । उन्हें वर्ष 1940 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से विशारद की उपाधि मिली। वर्ष 1945 -46 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने ‘ राम कथा – उतपत्तिऔर विकास ‘ विषय पर डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की।

फादर कामिल बुल्के ने रांची के सेंट जेवियर कॉलेज मे अध्यापन कार्य भी किया। वह इस कॉलेज के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष भी रहे। अंग्रेजी – हिन्दी शब्द कोश निर्माण में उनकी ऐतिहासिक भूमिका थी। भारत सरकार ने उन्हें केंद्रीय हिन्दी समिति का सदस्य मनोनीत किया और वह वर्ष 1972 से 77 तक इस समिति के सदस्य रहे। उन्हें 1974 में पद्म भूषण अलंकरण से सम्मानित किया गया।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार हैं।

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