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सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: ‘मियां-तियां’ और ‘पाकिस्तानी’ कहने से धार्मिक भावनाओं को ठेस तो पहुंच सकती है, लेकिन यह अपराध नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी को ‘मियां-तियां’ या ‘पाकिस्तानी’ कहना भले ही खराब आचरण हो, लेकिन यह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। यह टिप्पणी जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने उस मामले में की, जिसमें एक व्यक्ति पर सरकारी कर्मचारी को ‘पाकिस्तानी’ कहने का आरोप था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “आरोपित पर यह आरोप था कि उसने शिकायतकर्ता को ‘मियां-तियां’ और ‘पाकिस्तानी’ कहकर उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाया। निस्संदेह, ये बयान खराब आचरण के तहत आते हैं, लेकिन इससे शिकायतकर्ता की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचती है।” यह मामला झारखंड के एक उर्दू अनुवादक और कार्यरत क्लर्क द्वारा दायर किया गया था, जिसमें आरोप था कि जब वह आरोपी से सूचना के अधिकार (RTI) के बारे में जानकारी देने गया था, तो आरोपी ने उसकी धार्मिकता पर टिप्पणी की और उसे अपमानित किया।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी के किसी भी कार्य से शांति भंग होने की संभावना नहीं थी। “स्पष्ट रूप से, आरोपी की तरफ से कोई हमला या बल प्रयोग नहीं हुआ, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या बल प्रयोग) के तहत आ सकता था,” कोर्ट ने कहा।

यह निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोपों की सीमाओं और संदर्भों पर चर्चा की गई है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही शब्दों का चयन गलत हो, यदि इससे शांति भंग नहीं होती या कोई हिंसा नहीं होती, तो इसे आपराधिक अपराध नहीं माना जा सकता।

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