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सुकमा में पुनर्वास की नई पहल: आत्मसमर्पित माओवादियों को स्मार्टफोन और रोजगार किट से मिला नया जीवन

छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति अब ज़मीनी स्तर पर उम्मीद और बदलाव की नई कहानी लिख रही है। सुकमा जिले में आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटे माओवादी युवाओं के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास उनके जीवन में सकारात्मक मोड़ ला रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्देश और उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन ने पुनर्वास केंद्र में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया।

कार्यक्रम के तहत 75 आत्मसमर्पित युवाओं को आधुनिक 5G स्मार्टफोन और 25 युवाओं को रोज़गारोन्मुख मेसन (राजमिस्त्री) किट प्रदान की गई। यह आयोजन कलेक्टर श्री देवेश कुमार ध्रुव और पुलिस अधीक्षक श्री किरण चव्हाण के नेतृत्व में संपन्न हुआ।

डिजिटल दुनिया से जुड़ेंगे युवा
पुनर्वासित 75 युवाओं को सैमसंग गैलेक्सी M06 5G स्मार्टफोन दिए गए, जिनमें 50 मेगापिक्सल का डुअल कैमरा और 5000 एमएएच की फास्ट-चार्जिंग बैटरी जैसी सुविधाएँ हैं। इन स्मार्टफोनों के माध्यम से युवा अब ऑनलाइन शिक्षा, कौशल विकास कार्यक्रमों, सरकारी योजनाओं और डिजिटल सेवाओं से सीधे जुड़ सकेंगे।

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रोज़गार की दिशा में ठोस कदम
इसके साथ ही 25 युवाओं को मेसन किट देकर निर्माण क्षेत्र में रोज़गार और स्वरोज़गार के लिए प्रोत्साहित किया गया। जिला प्रशासन के अनुसार, यह पहल प्रधानमंत्री आवास योजना–ग्रामीण सहित अन्य विकास परियोजनाओं के लिए कुशल श्रमिक तैयार करने में सहायक होगी।

सम्मान और आत्मनिर्भरता पर ज़ोर
प्रशासन ने स्पष्ट किया कि पुनर्वास नीति केवल आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य आत्मनिर्भरता, सम्मान और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देना है। स्मार्टफोन के ज़रिए पुनर्वासित युवा अब ऑनलाइन प्रशिक्षण, आधुनिक कृषि तकनीक, छोटे व्यवसाय और स्वरोज़गार के नए अवसरों को समझने और अपनाने में सक्षम हो रहे हैं।

पुनर्वासित युवाओं की ज़ुबानी
पोलमपल्ली निवासी पोड़ियम भीमा ने बताया कि वे करीब 30 वर्षों तक नक्सल संगठन से जुड़े रहे। पुनर्वास के बाद उन्हें बेहतर आवास, भोजन और प्रशिक्षण की सुविधाएँ मिल रही हैं। उन्होंने राजमिस्त्री के साथ-साथ इलेक्ट्रीशियन और मैकेनिक का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है।

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वहीं, पुवर्ती निवासी मुचाकी रनवती ने बताया कि वे 24 वर्षों तक संगठन से जुड़ी रहीं। पुनर्वास के बाद उन्होंने सिलाई का प्रशिक्षण लिया और अब राजमिस्त्री प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। उन्होंने परिवार से मिलने का अवसर मिलने और बस्तर ओलंपिक की संभाग स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीतने की खुशी भी साझा की।

डब्बमरका निवासी गंगा वेट्टी ने कहा कि मोबाइल और मेसन किट मिलने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है। उन्होंने बताया कि अब उनका जीवन पहले की तुलना में अधिक सुरक्षित और सम्मानजनक है। शिविरों के माध्यम से उनका आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड और जॉब कार्ड बन चुका है, जिससे उन्हें शासन की सभी योजनाओं का लाभ मिल रहा है।

शांति और विकास की ओर मजबूत कदम
सुकमा में की गई यह पहल इस बात का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ सरकार की नीति न केवल नक्सलवाद से मुकाबले पर केंद्रित है, बल्कि भटके हुए युवाओं को विश्वास, अवसर और सम्मान के साथ नया जीवन देने की दिशा में भी गंभीर प्रयास कर रही है। यह मॉडल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति, विकास और सामाजिक समरसता की मजबूत नींव रख रहा है।

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