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दीपावली पर स्वसहायता समूह की महिलाओं ने बनाए 70 हजार मिट्टी के दीये, आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं

गौरेला-पेंड्रा-मारवाही, 15 अक्टूबर 2025/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने की दिशा में स्वसहायता समूह की महिलाएं महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। दीपावली पर्व के अवसर पर वे कलात्मक मिट्टी के दीयों और पूजा सामग्री का निर्माण कर स्थानीय हाट-बाजारों में बिक्री कर आर्थिक रूप से समृद्ध हो रही हैं।

जिला प्रशासन एवं ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से पेंड्रा जनपद की पांच महिला स्वसहायता समूहों की 12 महिलाओं ने मिलकर अब तक 70 हजार मिट्टी के दीये तैयार किए हैं। इसके साथ ही वे अगरबत्ती, बाती और तोरण बनाकर कोटमी, नवागांव और कोड़गार हाट बाजारों में बेच रही हैं। समूह द्वारा निर्मित दीयों को रायपुर में आयोजित सरस मेला में भी प्रदर्शित और बेचा जा रहा है। अब तक समूह द्वारा 1 लाख 11 हजार 500 रुपये की दीयों और पूजा सामग्री की बिक्री की जा चुकी है।

समूह की सदस्य ग्राम झाबर निवासी क्रांति पुरी ने बताया कि इस कार्य से उन्हें करीब 9 हजार रुपये का मुनाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की दिवाली उनके लिए बहुत खास बन गई है और वे इस आय से अत्यंत खुश हैं।

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ब्लॉक मिशन प्रबंधक मंदाकिनी कोसरिया ने जानकारी दी कि इस पहल से सीधे तौर पर पांच महिला स्वसहायता समूहों के परिवारों को आर्थिक लाभ मिला है। इससे महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति सुधारने में भी सक्षम हो रही हैं।

यह पहल स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के साथ-साथ पारंपरिक मिट्टी के दीयों के उपयोग को भी बढ़ावा दे रही है। मिट्टी के दीयों की बिक्री से जहां महिलाओं की आमदनी में वृद्धि हुई है, वहीं यह पर्यावरण के लिए भी एक अनुकूल और टिकाऊ विकल्प साबित हो रहा है।